शासकीय दस्तावेजों को वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए : मुख्य सूचना आयुक्त श्री राउत
आम जनता को सरकारी गतिविधियों को जानने का मौलिक अधिकार: श्री पवार’ सूचना का अधिकार पर प्रथम अपीलीय अधिकारियों की कार्यशाला
रायपुर/ राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त एम. के. राउत ने आज ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान निमोरा में सूचना का अधिकार विषय पर आयोजित प्रथम अपीलीय अधिकारी जनपद पंचायत (मुख्य कार्यपालन अधिकारी) की कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम आम जनता की भलाई के लिए बनाया गया है। नागरिकों को शासकीय योजनाओं, कार्यक्रमों और कार्यों के बारे मेें जानकारी हासिल करने का अधिकार है। इसलिए शासकीय कार्यों और कार्यक्रमों को विभागीय वेबसाईट में प्रदर्शित किया जाए, ताकि आम नागरिक को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन लगाने की जरूरत ही ना पड़े।
राज्य सूचना आयुक्त मोहन राव पवार ने कहा कि हर नागरिक को जानने का मौलिक अधिकार है। सूचना का अधिकार अधिनियम सरकार के कार्यो को पारदर्शी बनाना है। इसमें पहली कड़ी जनसूचना अधिकारी हैं। ये अधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के मेरूदण्ड हैं। इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के तहत प्राप्त आवेदनों को स्वयं पढ़े इससे गलती की संभावना कम होगी। इसमें जानकारी देने की समय-सीमा और शुल्क पर विशेष ध्यान रखें। आवेदक को समय-सीमा के भीतर जानकारी दें अन्यथा निर्धारित समय-सीमा 30 दिन के बाद आवेदक को निःशुल्क जानकारी देनी होगी। !!!जनसूचना अधिकारी को पूर्वाग्रह से भी बचना चाहिए।
श्री पवार ने कहा कि सूचना आयोग पेनाल्टी लगाने वाली संस्था नहीं है, लेकिन जानबूझकर जानकारी नहीं देने अथवा गलती करने पर पेनाल्टी लगाना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति से जनसूचना अधिकारी को बचना चाहिए।
राज्य सूचना आयोग के आयुक्त अशोक अग्रवाल ने कार्यशाला में स्पष्ट किया कि सूचना आयोग को जनसूचना अधिकारी पर ना केवल जुर्माना लगाने का अधिकार है, बल्कि आवेदक को क्षतिपूर्ति राशि देने के लिए आदेश पारित करने का भी अधिकार है। यह क्षति पूर्ति राशि लोक प्राधिकारी द्वारा जनसूचना अधिकारी से वसूल कर आवेदक को दिए जाने का प्रावधान अधिनियम में है, इसलिए जनसूचना अधिकारी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार आवेदक को सूचना उपलब्ध कराएं। उन्होंने जनसूचना अधिकारियों से कहा कि जब आवेदक सूचना का अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत करता है, तो आवेदन पत्र को ध्यान से पढ़े, आवेदन पत्र में एक से अधिक विषय की जानकारी चाही गई है, तो केवल एक विषय की जानकारी आवेदक को दी जा सकती है। इसी तरह सशुल्क जानकारी देने की स्थिति पर शुल्क की गणना भी आवेदक को दी जाए और आवेदक द्वारा शुल्क जमा करने के पश्चात् ही वांछित जानकारी की फोटोकापी कराई जाए। श्री अग्रवाल ने कहा कि आवेदक को जानकारी देते समय जनसूचना अधिकारी का नाम, पदनाम का भी स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए। साथ ही आवेदक को प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम और पदनाम की भी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी आपके कार्यालय से संबंधित नहीं है, तो उसे संबंधित कार्यालय को अंतरित किया जाए।
पूर्व सूचना आयुक्त ए.के. सिंह ने कहा कि शासन और प्रशासन को पारदर्शी बनाने के लिए ही सूचना का अधिकार अधिनियम बनाया गया है। जन सूचना अधिकारी अधिनियम के नियमों और उनकी बारीकियों को समझ सकें, इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि यह कार्यशाला जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारियों के लिए उपयोगी साबित होगा। कार्यशाला में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तद्वय ने जनसूचना अधिकारियों और प्रथम अपीलीय अधिकारी के प्रश्नों और शंकाओं का समाधान किया।
इस अवसर पर राज्य सूचना आयोग के सचिव संजय दीवान, अपर विकास आयुक्त अशोक चौबे, संयुक्त संचालक धनंजय राठौर भी उपस्थित थे। कार्यशाला में जनपद पंचायत (मुख्य कार्यपालन अधिकारी), जनसूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।