छत्तीसगढ़

महासमुंद में DGML को मिला बड़ा प्रोजेक्ट, 500 से ज्यादा नौकरियों की उम्मीद

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित भालुकोना-जामनीदिह क्षेत्र में निकेल, क्रोमियम और प्लेटिनम समूह के तत्वों (PGE) के अन्वेषण के लिए...

04, April, 2025 | रायपुर। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित भालुकोना-जामनीदिह क्षेत्र में निकेल, क्रोमियम और प्लेटिनम समूह के तत्वों (PGE) के अन्वेषण के लिए भारत सरकार ने डीकेन गोल्ड माइन्स लिमिटेड (DGML) को कंपोजिट लाइसेंस प्रदान किया है। यह लाइसेंस प्रतिस्पर्धी नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से मिला है और इसे 1 अप्रैल 2025 से दो वर्षों के लिए प्रभावी किया गया है।

यह परियोजना 30 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली होगी और इसका उद्देश्य भारत में महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों के दोहन को बढ़ावा देना है। इस क्षेत्र की भूवैज्ञानिक संरचना विश्व प्रसिद्ध निकेल उत्पादक क्षेत्रों जैसे दक्षिण अफ्रीका के मेरेंस्की रीफ और फिनलैंड की अहमवारा माइंस से मेल खाती है, जिससे यहां निकेल, क्रोमियम और PGE के महत्वपूर्ण भंडार मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

स्थानीय विकास और हरित ऊर्जा को मिलेगा बढ़ावा
खनन और खनिज प्रसंस्करण कार्यों से 500 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियों के साथ समान संख्या में अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होने की संभावना है। साथ ही, इस परियोजना से राज्य सरकार को रॉयल्टी और करों के माध्यम से महत्वपूर्ण राजस्व प्राप्त होगा, जिससे स्थानीय विकास को गति मिलेगी।

भारत की हरित ऊर्जा (Green Energy) क्रांति को समर्थन देने के लिए इस परियोजना के तहत प्राप्त खनिजों का अधिकतर उपयोग स्वदेशी औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।

डीजीएमएल का दीर्घकालिक लक्ष्य
डीजीएमएल का लक्ष्य 10,000 टन प्रति वर्ष से अधिक निकेल उत्पादन करना है। कंपनी ने यह भी संकेत दिया है कि नवीनतम खनन और प्रसंस्करण तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जिसमें बायोलीचिंग जैसे पर्यावरण-अनुकूल तरीकों को प्राथमिकता दी जाएगी।

डीजीएमएल के प्रबंध निदेशक डॉ. हनुमा प्रसाद मोडाली ने कहा, “हम इस परियोजना को नवीनतम तकनीक और विश्व स्तरीय अन्वेषण तकनीकों के माध्यम से विकसित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।”

डीजीएमएल के बिजनेस डेवलपमेंट वाइस प्रेसिडेंट नौशाद अहमद ने कहा, “हम छत्तीसगढ़ में कार्य करने और इसके विकास में योगदान देने के लिए उत्सुक हैं। यह परियोजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”

कैसे होगा कार्यान्वयन?
कंपनी का कहना है कि स्थानीय समुदायों को इस परियोजना से प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। प्रारंभिक चरण में स्थानीय श्रमिकों की भर्ती और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा।

अगर खनिज भंडार व्यावसायिक रूप से खनन के योग्य पाया जाता है, तो कंपनी को माइनिंग लीज (ML) मिल जाएगी, जिससे वह इस क्षेत्र में पूर्ण रूप से खनन कार्य शुरू कर सकेगी।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सभी वैधानिक और नियामकीय प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद, 1 अप्रैल 2025 को कंपोजिट लाइसेंस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, और 2 अप्रैल 2025 को इसे आधिकारिक रूप से पंजीकृत किया गया।

यह परियोजना छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था और भारत के रणनीतिक खनिज भंडारण को सुरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

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