छत्तीसगढ़

सरकार की पट्टा देने की घोषणा के बाद वन भूमि पर ग्रामीणों का कब्जा

85 हेक्टेयर जमीन पर 73 लोगों की दावेदारी

बलरामपुर। छग में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद घोषणा पत्र में किए गए वादे के मुताबिक सरकार वनभूमि का पट्टा बांट रही है और कई लोगों को इसका लाभ भी मिल रहा है लेकिन कुछ जगहों पर इसके गलत परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। बलरामपुर जिले के राजपुर वन परिक्षेत्र में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है यहां के सरगडी और गोविन्दपुर गांव में आज से पहले वन भूमि के 85 हेक्टेयर जमीन पर किसी का कब्जा नहीं था लेकिन जमीन की लालच में अब 73 लोग इसमें कब्जे की दावेदारी कर रहे हैं।
यहां हैरान करने वाली बात तो यह भी है की आवेदन करने वालों में मानसिक रुप से पीडि़त और कमजोर लोग भी शमिल हैं। जबकि वन विभाग ने इस जमीन पर जंगल को फिर से जीवित करने के लिए पौधरोपण हेतु गड्ढे भी खोदकर रखे हुए हैं। इस पूरे क्षेत्र में 94 हजार पौधे लगाए जाने हैं और पौधरोपण के लिए सब कुछ तैयार है लेकिन गांववालों की आपत्ति के चलते वन विभाग कुछ भी करने में असमर्थ है।
मामला काफी गंभीर होने के कारण क्षेत्रीय विधायक बृहस्पति सिंह को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होने चौपाल लगाकर ग्रामीणों को समझाईश दी। विधायक ने कहा की पट्टा के साथ साथ जंगल भी जरुरी है उन्होने कहा की जिन्होने इसमें कब्जा किया है उनकी पात्रता को जांचने के बाद पट्टा देने के लिए विभाग को निर्देशित किया गया है वहीं उन्होने मानसिक रुप से कमजोर लोगों के बारे में कहा की आवेदन करने का अधिकार सभी को है और पात्रों को ही पट्टा दिया जाएगा।
वहीं मामले में उलझन में फंसा वन विभाग एक ओर विधायक के निर्देश के कारण दुविधा में है। वहीं उनकी मानें तो गूगल मैप में अभी भी ये जगह जंगल दिख रहा है। उन्होने कब्जाधारियों के बारे में बताया की सरकार के नियम के मुताबिक 2005 से पहले वालों को पट्टा दिया जाना है लेकिन जो इसमें दावा कर रहे हैं उनका 2005 के बाद का इसमें कब्जा है और सरकार ने जब से पट्टा देने की बात कही है उसके बाद ग्रामीण इसमें आवेदन कर रहे हैं। इस जमीन में पौधरोपण का काम भी इसी विवाद के कारण रुका हुआ है।

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