14 अगस्त 1947 को ऐसा था रायपुर का नजारा, हर जगह जल रहे थे दीप
रायपुर, 15 अगस्त 1947, जिस चौक पर जयस्तंभ लगा है, कहते हैं वहां पर अंग्रेजों ने वीरनारायण सिंह को फांसी दी थी। फांसी को देखने के लिए लोगों को निमंत्रण नहीं, आदेश दिया गया था। तारे ने बताया- आजादी के दिन मैं नौ बरस का था, कक्षा तीसरी में पढ़ता था। जानकी देवी कन्या पाठशाला में, जो बाद में दाबके स्कूल के नाम से तात्यापारा चौक पर लगने लगी थी।
10 अगस्त से ही पूरे शहर में चेतना की लहर फैली देख रहा था। दासतां से मुक्ति बड़ी बात थी। स्कूल में सभी को कहा गया कि 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे, यह सबसे बड़ा उत्सव होगा। सभी को जन-गण-मन, और वंदेमातरम मुखाग्र होना चाहिए।
14 अगस्त को स्कूल बिना बस्ते के गए थे। ढेरों पतले रंग बिरंगे कागज, गोंद, चिकी व सुतली लाई गई थी। झंडिया बनाई गई। शाम तक पूरा स्कूल, पूरा शहर इनसे सज गया। हमने 15 अगस्त के लिए अभ्यास किया। 14 अगस्त की शाम को ही सदर बाजार रोड व बेंसली रोड में कई घरों में तिरंगा फहर गया। दीवाली मनाई जाने लगी, दीप घर-घर जल उठे।
मानो दीवाली हो। यह दीवाली से भी बड़ा पर्व जो था। 15 अगस्त को स्कूल में ध्वजारोहण हुआ। इस दिन स्कूल की छुट्टी हुई, इसके बाद कहा गया कि आज सिनेमा हाल में फ्री है…। बाबूलाल टॉकीज, शारदा टॉकीज, मनोहर टॉकीज, कमल टॉकीज में जब मर्जी आते, जाते कोई रोक टोक नहीं था। मैं वह दिन कभी नहीं भूल सकता।