भीमा मंडावी हत्या में न साजिश, न सुरक्षा चूक, जांच आयोग का प्रारंभिक निष्कर्ष
तीन गवाह सडक़ दुर्घटना में घायल
रायपुर। भीमा मंडावी हत्या प्रकरण की जांच कर रही न्यायिक आयोग को अब तक कोई षडय़ंत्र के सबूत साक्ष्य नहीं मिले हैं। आयोग का मानना है कि भीमा मंडावी की सुरक्षा में कमी नहीं थी। उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैय्या कराई गई थी। बुधवार को प्रकरण पर गवाही होनी थी, लेकिन तीन गवाह सडक़ दुर्घटना में घायल हो गए। गवाहों को अब 12 अक्टूबर को बुलाया गया है।
लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नक्सलियों ने दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या कर दी थी। सरकार ने इस प्रकरण की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस सतीश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है। जस्टिस श्री अग्निहोत्री प्रकरण की जांच कर रहे हैं।
बुधवार को प्रकरण से जुड़े गवाहों को बुलाया गया था। इस प्रकरण में दिवंगत विधायक भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी की भी गवाही होनी है। मगर, ओजस्वी मंडावी ने चुनाव की वजह से आयोग से पेश होने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी। अब 12 अक्टूबर को आयोग के समक्ष पेश होंगी। दूसरी तरफ, तीन और गवाह आज पेश होने वाले थे, लेकिन निमोरा के समीप सडक़ दुर्घटना में वे चोटिल हो गए। अब इन सभी गवाहों को भी 12 तारीख को उपस्थित रहने के लिए कहा गया है।
जस्टिस श्री अग्निहोत्री ने अनौपचारिक चर्चा में कहा कि अभी तक कोई ऐसे प्रमाण नहीं मिले हैं, जिससे किसी तरह के षडय़ंत्र की पुष्टि होती हो। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा में कमी की कोई बात सामने नहीं आई है। भीमा मंडावी को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराई गई थी। प्रारंभिक तौर पर यही बात सामने आ रही है कि यह घटना नक्सलियों की सोची-समझी साजिश थी।