5 साल में 15 हजार करोड़ का राशन घोटाला-शिवशंकर भट्ट सरकार से जांच-कार्रवाई की मांग
रायपुर। चर्चित नान घोटाले के मुख्य आरोपी शिवशंकर भट्ट ने कहा है कि प्रदेश में 36 हजार करोड़ का नान घोटाला नहीं, बल्कि राशन घोटाला हुआ है। 2013 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले प्रदेश में बनाए गए लाखों फर्जी राशन कार्ड और उससे आबंटित राशनों की जांच की जाए, तो 5-6 साल में करीब 15 हजार करोड़ का घोटाला सामने आएगा। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि राशन कार्ड घोटाले की जल्द जांच करा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
करीब साढ़े 4 साल तक जेल में रहने के बाद जमानत पर रिहा होकर बाहर आए नान घोटाले के मुख्य आरोपी शिवशंकर भट्ट ने रविवार को यहां मीडिया से चर्चा में नान घोटाले और उससे जुड़ी बातों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने रमन सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य बनने के बाद यहां नान का गठन कर उन्हें वहां प्रबंधक की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में राशन घोटाले को दबाने के लिए नान घोटाला सामने लाया गया और उसका ठीकरा उन पर फोड़ते हुए उनके घर-दफ्तर में छापामार कर उन्हें जेल में डाल दिया गया। यह सब कुछ इसलिए किया गया, ताकि राशन घोटाला उजागर न हो पाए।
2013 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले से शुरू हुए करोड़ों के राशन घोटाले की जानकारी देते हुए मुख्य आरोपी भट्ट ने कहा कि चुनाव के ठीक पहले प्रदेश में 72 लाख राशन कार्ड बनाए गए, जबकि 2013 में प्रदेश में 51 लाख परिवार के पास राशन कार्ड था। करीब 31 लाख राशन कार्ड फर्जी ढंग से बनाए गए और उन सभी को उसी समय से राशन आबंटन की जिम्मेदारी उन पर डाल दी गई। उस समय मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह, खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले व विभाग के बड़े अफसरों का उन पर लगातार दबाव बना रहा। उनसे कहा गया कि यह काम उन्हें कैसे और किस ढंग से करना है, यह वे खुद तय करें। उन्हें नौकरी से निकाल देने तक की धमकी दी गई थी।
उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के लिए रमन सरकार का इतना दबाव था कि वे उनकी कोई बात सुनने तैयार नहीं हुए। उनसे यहां तक कहा गया कि राशन स्टोर करने के लिए स्कूल, पंचायत भवन समेत जहां भी खाली जगह मिले, उन सभी जगहों पर राशन का भंडारण किया गया और चुनाव के समय से ही लोगों को उसका आबंटन किया जाए। इस तरह प्रदेश में फर्जी राशन कार्ड से हर महीने 266 करोड़ का राशन घोटाला जारी रहा। सालभर में यह घोटाला 3 हजार करोड़ का था। शिकायत पर सैकड़ों फर्जी राशन कार्ड निरस्त कर उसकी सूची मुख्यालय को भेजी गई, पर किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आदतन अपराधी होता तो रमन और
बैस, अपना सचिव क्यों बनाते…
पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के आदतन अपराधी कहे जाने पर नान घोटाले के मुख्य आरोपी शिवशंकर भट्ट ने कहा कि 1998 में वे पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री रमेश बैस के सचिव रहे। 1999 में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमन सिंह का पीए रहा। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी, तत्कालीन केंद्रीय मंत्री लालकृष्ण आडवानी व एक अन्य की टीम ने उनका चयन किया था। यहां वे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन का चार महीने तक ओएसडी रहा। अगर वे अपराधी होते तो केंद्रीय मंत्रियों के सचिव, सहायक क्यों बनाए जाते। उन्हें उन्होंने कहा कि 2003-04 में कुनकुरी चावल घोटाला सामने आया, जिसे उन्होंने 2006 में उजागर किया था। उस समय विभाग के एक बड़े अफसर ने उन्हें दोषी मानकर जेल में डलवा दिया और वे 40 दिनों तक जेल में रहे। उन्होंने कहा कि मैं आदतन अपराधी नहीं हूं। डॉ. रमन के आदतन अपराधी कहने पर वे उनके खिलाफ मानहानि का मामला दायर करेंगे।
रमन, मोहले, भोजवानी नान
घोटाले के मास्टर माइंड
नान घोटाले के मुख्य आरोपी भट्ट ने मीडिया से चर्चा में रमन सरकार पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, पूर्व खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले, नान के चेयरमैन लीलाराम भोजवानी व राधाकृष्ण गुप्ता नान घोटाले के मास्टरमाइंड हैं। विभाग के 2 बड़े अफसर भी उनके साथ रहे। घोटाले के समय उन्हें भी ऑफर दिया गया था, जिसे ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा कि साढ़े 4 साल तक जेल में रहा, इसलिए सच्चाई सामने नहीं आ पाई थी।
जान को खतरा, सुरक्षा की मांग
नान घोटाले के मुख्य आरोपी भट्ट ने कहा है कि जेल से बाहर आने के बाद से उनकी जान को खतरा बना हुआ है। 2-3 दिनों पहले उन्हें जान को खतरा होने का ज्यादा अहसास हुआ, जिसकी रिपोर्ट उन्होंने सिविल लाइन थाने में दर्ज कराई है। उन्होंने एसपी को वाट्सअप भी किया है। उन्होंने कहा कि शपथ पत्र किसी के दबाव में नहीं, बल्कि सोच-समझकर दिया है। सरकार से मांग की है कि उनकी जान को खतरा देखते हुए उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।