छत्तीसगढ़

रेत खदानों के संचालन के लिए 15 रेत समूहों में चयनित बोलीदार घोषित

रायपुर। राज्य शासन द्वारा प्रदेश में रेत खदानों के संचालन के लिए छत्तीसगढ़ गौण खनिज साधरण रेत (उत्खनन एवं व्यवसाय) नियम 2019 बनाया गया। इसके तहत खनिज विभाग द्वारा जिला स्तर पर रेत खदानों के समूह निर्माण तथा सीलिंग प्राईज के निर्धारण हेतु अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया। चयनित बोलीदार को दो वर्ष हेतु रेत उत्खनन पट्टा का आबंटन किया जाएगा। अब वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत रेत खदान संचालनकर्ता को खनिज रेत का मूल्य एवं अन्य प्रभारित करों को खदान क्षेत्र में आम जनता के लिए प्रदर्शित करना होगा।
खनिज विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले महीने की 19 तारीख को प्रथम चरण में 15 जिलों में कुल 74 रेत समूह बना कर 105 रेत खदानों के लिए एन.आई.टी. जारी किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ का मूल निवासी ही नीलामी में भाग लेने की शर्त रखी गई। रेत उत्खनन में किसी व्यक्ति-फर्म-संस्था का एकाधिकार समाप्त करने के लिए नई व्यवस्था के अंतर्गत किसी एक जिले में मात्र एक खदान समूह तथा पूरे प्रदेश में अधिकतम पांच समूहों में ही रेत खदानें प्राप्त कर सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस महीने 9 से 16 सितम्बर के मध्य बोली आमंत्रित की गई। प्रथम चरण में कुल 2531 बोलियां प्राप्त हुई है, जिनमें कोरबा, गरियाबंद, रायगढ़ कबीरधाम, बेमेतरा, बिलासपुर, सरगुजा, राजनांदगांव जिले में 15 रेत समूहों में अधिमानी (चयनित) बोलीदार घोषित किया गया है। अन्य रेत समूहों में अधिमानी बोलीदार घोषित करने के लिए प्रक्रिया जारी है।
खनिज विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रेत खनन की नवीन प्रस्तावित योजना से नदियों एवं जल स्त्रोतों के पर्यावरणीय दृष्टिकोण से संरक्षण के साथ ही उपभोक्ताओं को सुगमता से निर्धारित दर पर रेत उपलब्ध हो पाएगा। शासन को रायल्टी के साथ डी.एम.एफ., पर्यावरण एवं अधोसंरचना उपकर सहित नीलामी राशि (उच्चतम निर्धारित मूल्य एवं न्यूनतम बोली के अंतर की राशि), स्टाम्प ड्यूटी एवं पंजीयन शुल्क के रूप में अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति होगी। रेत के पट्टों के अनुबंध निष्पादन होने से पंचायतों एवं नगरीय निकायो को विगत 05 वर्षों में प्राप्त अधिकतम वार्षिक रायल्टी राशि में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर समतुल्य राशि संबंधित पंचायत-नगरीय निकायो को आगामी वित्तीय वर्ष से प्राप्त होगी। सीलिंग प्राईज एवं रेत खदान हेतु प्राप्त न्यूनतम बोली के अंतर की राशि शासन को प्राप्त होगी। वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत द्वितीय चरण में रेत परिवहन में संलग्न वाहनों तथा रेत व्यवसाय से जुड़े ट्रेडर्स का पंजीयन कराया जाना अनिवार्य होगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पूर्व खनिज रेत का उत्खनन हेतु छत्तीसगढ़ गौण खनिज रेत का उत्खनन एवं व्यवसाय विनियमन निर्देश 2016 के तहत ग्राम पंचायतों को रेत व्यवसाय हेतु अधिकृत किया गया था। उक्त नियमों के तहत संबंधित ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, नगरीय निकायों के द्वारा मात्र रायल्टी प्राप्त कर रेत खदाने संचालित की जा रही थी। पंचायतों का खदान संचालन में कोई नियंत्रण नहीं होने से मूल्य वृद्धि के साथ ही अव्यवस्था उत्पन्न हो गई थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर राज्य शासन द्वारा कैबिनेट की बैठक कर निर्णय लिया गया कि पंचायतों एवं नगरीय निकायो के माध्यम से रेत खदानों के संचालन की वर्तमान व्यवस्था में संशोधन करते हुए रेत खदान संचालन हेतु निजी व्यक्ति-संस्था का चयन संबंधित जिले के कलेक्टर द्वारा रिवर्स बिडिंग के अधार पर कराए जाने का निर्णय लिया गया।

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