छत्तीसगढ़

गांधी पर विधानसभा सत्र, गोडसे पर निशाना भी

रायपुर। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर विधानसभा के दो दिनी विशेष सत्र में बुधवार को सत्ता और विपक्ष के सदस्यों ने अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे पर तीर छोड़े। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जोर देकर कहा कि गांधी को अपनाना है तो गोडसे की भत्र्सना कर उसके मुर्दाबाद के नारे लगाने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग केवल दिखावे के लिए गांधी की जय-जय करते हंै, उन्हें गोडसे की निंदा करनी चाहिए। चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार को गांधी जयंती के मौके पर प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू करने की सलाह दे दी।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अपने उद्बोधन में गांधीजी की 150वीं जयंती के मौके पर विशेष सत्र बुलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को धन्यवाद दिया और कहा कि पूरे देश में अकेले छत्तीसगढ़ में विशेष सत्र आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने इसमें सहमति देने के लिए नेता प्रतिपक्ष को भी धन्यवाद दिया। श्री बघेल ने कहा कि आज गांधीजी के साथ-साथ लाल बहादूर शास्त्री की भी जयंती है। उन्होंने दोनों महापुरूषों को नमन किया। उन्होंने कहा कि गांधी एक व्यक्ति नहीं, एक विचार और संकल्प है। गांधी अहिंसक लड़ाई के पुरोधा रहे हैं। उनके पहनावे, रहन-सहन, खान-पान के गुणों को विरोधियों ने आत्मसात भी किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जितने भी महापुरुष ने जन्म लिया, उनके विचारों में अंतर दिखाई देता है। जब देश मे हिंसा फैली हुई थी तब महात्मा बुद्ध इस जमीन पर आए। उन्होंने हिंसा के त्याग, संयम का संदेश दिया। उनके बाद भगवान शंकर आते हैं, उन्होंने शून्यवाद का उपदेश दिया। निराकार ब्रम्ह का संदेश दिया। जब लोगों ने देखा कि वह भाव नहीं हो पा रहा, लोग जुड़ नहीं पा रहे तब रामानुज जैसे सन्त आते है।
श्री बघेल ने कहा कि जब इस्लाम का आक्रमण होता है, तब कबीर और गुरुनानक जैसे सन्त आते हैं। जिन्होंने इस्लाम और हिन्दू धर्म के बीच पुल का काम किया। एक धारा तब भी चल रही थी जिसका नेतृत्व तुलसीदास, मीरा, सूरदास कर रहे थे। 19 वीं सदी के पहले के आंदोलन धर्म के थे, लेकिन 20 वीं सदी के आने तक धर्म को राजनीतिक कसौटी पर देखा जाने लगा। तब अंग्रेज आ गए थे। जब राजा राममोहन आये तब वह धर्म सुधारक नहीं थे, वह समाज सुधारक थे। धर्म की लड़ाई के समय रामकृष्ण परमहंस आए। उन्होंने यह दिखाया कि सभी धर्म एक ही जगह पहुंचते हैं। राजनीतिक राष्ट्रवाद का प्रतिनिधित्व किसी ने किया तो वह महात्मा गांधी ने किया।
पशुबल के सामने महात्मा गांधी ने आत्मबल को खड़ा किया। अंग्रेजों की तोप और बंदूक के आगे अहिंसा को खड़ा किया। आखिर गांधी ने अहिंसा को ही क्यों खड़ा किया? दुनिया हंसती थी लेकिन अहिंसा की बात बुद्ध, महावीर ने कहीं थी, लेकिन गांधी ने इसका व्यापक प्रयोग किया। गांधी कहते थे हिंसा तो पशु करते हैं उसमें भी क्रोध है, घृणा है, लेकिन मनुष्य के पास मस्तिष्क है। क्रोध के आवेग को रोकने का काम मनुष्य कर सकता है। गांधी जी अपने विरोधियों और आलोचकों के प्रति सहानुभूति रखते थे। अहिंसा की बात वेदों, उपनिषदों और महावीर से चले आ रहा है, लेकिन उसे अंगीकार कर सावर्जनिक जीवन मे उतारने का काम गांधी ने किया। इसलिए ही बुद्ध के बाद अहिंसा के लिए महात्मा गांधी को याद किया जाता है।
बघेल ने कहा कि एक बार ट्रेन के फस्र्ट क्लास में देश के नेतृत्व और कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर सवाल उठा तो तिलक ने कहा, इसका नेतृत्व थर्ड क्लास में बैठा व्यक्ति करेगा। महात्मा गांधी ने हर वर्ग को लगता था कि गांधी उनसे जुड़ा हुआ है। गांधी का राष्ट्रवाद सांस्कृतिक राष्ट्रवाद रहा है। लेकिन कुछ लोग जिस राष्ट्रवाद की बात करते हैं वो कौन सा राष्ट्रवाद है। इस राष्ट्रवाद में संविधान अर्थहीन होता जा रहा है। समाज खोखला होता जा रहा है। इस राष्ट्रवाद से राष्ट्र कुचला जा रहा है। गांधी की उपेक्षा करना चाहते हैं। गांधी को बदनाम करना चाहते हैं, लेकिन 150 साल भी आज गांधी प्रासंगिक है। गांधी के ग्राम स्वराज के बताए रास्ते पर छत्तीसगढ़ सरकार चल रही है। किसानों को ऋणमुक्त बनाने का काम हमने किया। हमने नारा दिया कि छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरवा, घुरवा, बॉडी जिसकी आज देश में चर्चा चल रही है।
उन्होंने कहा कि दो विचारधारा चली आ रही है। आज गांधी को याद करते है तो गोडसे का जिक्र होता है। लोग कहते है कि पाकिस्तान के विभाजन से नाराज होकर उनकी हत्या की गई। लेकिन इतिहास बताता है कि उससे पहले भी हत्या की कोशिश की गई थी। आज जब गांधी की जय जयकार हो रहा है तो गोडसे मुर्दाबाद के नारे लगने चाहिए। गांधी को अपनाना है तो साफ मन से, खुले दिल से, उनकी साफगोई को, उनके सत्य मार्ग को, जो लोग दिखावे के लिए गांधी का नाम ले रहे है लेकिन गोडसे की भत्सर्ना नहीं कर पा रहे हैं उनका खुलकर विरोध करे। इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री बघेल ने चार नई योजनाओं की भी घोषणा की। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि नया रायपुर में भोपाल की तर्ज पर गांधी भवन बनाया जाएगा। इसमें रायपुर-दुर्ग में उनके आगमन और कंडेल सत्याग्रह से जुड़ी चिर स्थाई रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने आदिवासी क्षेत्र में काम करने वाले दिवंगत प्रो. प्रभुदत्त खेड़ा के नाम पर पुरस्कार की घोषणा की। आदिवासियों के उत्थान के लिए काम करने वाली संस्थाओं को पुरस्कृत किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने नक्सल हिंसा से प्रभावित लोगों को सरकार आवास बनाकर देगी।

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