छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव प्रणाली में बदलाव कर प्रदेश सरकार के द्वारा अलोकतांत्रिक बनाने का आरोप लगाते हुए भाजपा ने दिया धरना

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव प्रणाली में बदलाव कर प्रदेश सरकार के द्वारा अलोकतांत्रिक बनाने का आरोप लगाते हुए भाजपा ने धरना दिया। वहीं महापौर के अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को लेकर राज्यपाल अनुसुईया उईके को ज्ञापन दिया। राज्यपाल ने इस दौरान भाजपा नेताओं को आश्वासन दिया कि निकाय चुनाव की प्रक्रिया के संबंध में कानूनी अध्ययन के बाद निर्णय लिया जाएगा।
राजधानी में बुधवार को मोतीबाग के पास भाजपा ने नगरीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया में बदलाव करने को अलोकतांत्रिक बताते हुए धरना दिया। भाजपा ने धरना के बाद राज्यपाल अनुसुईया उईके से मुलाकात कर इस संबंध में ज्ञापन सौंपा। उन्होंने चार बिन्दुओं में ज्ञापन दिया है। ज्ञापन में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति ने महापौर एवं अध्यक्ष का चुनाव मतदाताओं के मत से नहीं करा कर अप्रत्यक्ष रूप से कराने की अनुसंशा की है। साथ ही निकाय चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन के बदले बैलेट पेपर से कराने की भी सिफारिश की है। इन दोनाे सिफारिशों से इस बात का खुलासा हो गया है कि कांग्रेस सरकार इस चुनाव को अवैधानिक रूप से प्रभावित कराना चाहती है। शासन के इस निर्णय से धन बल और बाहूबल के जमकर दुरूपयोग का रास्ता खुलेगा।
अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने की उप समिति की यह अनुसंशा संविधान की मूल भावना के विपरीत है। नगरीय क्षेत्रों में जनता का प्रतिनिधित्व को लेकर ही भारत के 74 संविधान संशोधन किया गया था। एवं नगरीय क्षेत्रों के तीन स्तरीय संरचना निर्मित की गई ताकि उस क्षेत्र की जनता नगरीय निकाय में अपने महापौर और अध्यक्ष का चुनाव सीधे कर सकें। प्रक्रिया में परिवर्तन की सिफारिश कर पूरी चुनाव प्रणाली की पारदर्शीता एवं बेहत्तर व्यवसथा का समाप्त करने का घृणित प्रयास किया जा रहा है। ज्ञापन देने वालों में पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, प्रेमप्रकाश पांडे, अमर अग्रवाल, राजेश मूणत, देवजी भाई पटेल, श्रीचंद सुन्दरानी, सच्चिदानंद उपासने, संजय श्रीवास्तव सहित कई भाजपा के नेता उपस्थित थे।
भाजपा ने यह तर्क भी दिया
भाजपा के पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडे ने पत्रकारों को बताया कि नगरीय निकाय चुनाव प्रारंभ होने की प्रक्रिया के तहत आरक्षण की प्रक्रिया सभी निकायों में पूरी की जा चुकी है। इस बीच सरकार के द्वारा चुनाव प्रणाली में परिवर्तन करने यह निर्णय अवैधानिक है। इस चुनाव में आम लोगों की सहभागिता को छीनने का काम सरकार कर रही है। मंत्रिमंडलीय उप समिति ने अनुसंशा किए गए निर्णय के बारे में कैबिनेट की मंजूरी के पूर्व ही खुलासा कर अपने अधिकारों का दुरूपयोग किया है। भाजपा ने इस मामले में हर स्तर पर लड़ाई लड़ने का भी ऐलान किया।
भाजपा जाएगी कोर्ट
भाजपा विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष नरेश चंद गुप्ता ने बताया कि इस मामले को लेकर पार्टी सभी स्तर पर विरोध करेगी। इसे लेकर कोर्ट भी जाएगी, इसकी तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि मामले में निर्णय के बाद पार्टी पूरी तैयारी के साथ इसको कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा।
चुनाव प्रक्रिया में बदलाव कानून सम्मत- कांग्रेस
भारतीय जनता पार्टी द्वारा नगरीय निकाय चुनाव को लेकर लोकतंत्र और खरीद-फरोख्त रोकने की सम्भावना बताते हुए आंदोलन पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि चुनाव प्रक्रिया में बदलाव क़ानून सम्मत है और इससे किसी लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं होता। नगरीय निकायों में विसंगतिपूर्ण स्थिति बनती थी। नगरीय निकाय के अध्यक्ष और महापौर किसी और दल के होते है और पार्षदों में किसी और दल का बहुमत होता था तो सामान्य सभा में बजट पारित कराने में लगातार विरोधाभास की स्थिति होती थी। इससे जनता की सुविधा और अधिकारों को खतरा उत्पन्न होता था। इसे दूर करने के लिये एक समन्वयवादी व्यवस्था और एक तर्कसंगत व्यवस्था बनाने के लिये कि यदि पार्षद अपने मुखिया को चुनेंगे तो इससे नगरीय निकायों की व्यवस्था बेहतर होगी।

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