लालू यादव चारा घोटाले के पाँचवें मामले में दोषी क़रार
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव को झारखंड में सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के पाँचवें मामले में दोषी क़रार दिया है.
अदालत 21 फ़रवरी को सज़ा की घोषणा करेगी और लालू यादव को उस दिन अदालत में मौजूद रहना होगा. हालाँकि अदालत ने जगदीश शर्मा समेत 33 दोषियों को मंगलवार को ही सज़ा सुना दी. इन्हें तीन साल तक की सज़ा सुनाई गई है.
लालू यादव के वकीलों ने उनकी ख़राब सेहत का हवाला देते हुए सीबीआई कोर्ट में आवेदन दिया है. उनके एक अधिवक्ता आनंद कुमार ने बीबीसी को बताया कि उस आवेदन में लालू यादव को 21 फ़रवरी तक अस्पताल में रखे जाने की गुज़ारिश की गई है. कोर्ट इस आवेदन पर दोपहर दो बजे सुनवाई करेगा.
लालू यादव को चारा घोटाला के चार अन्य मामलों में पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है.
यह मामला क़रीब तीन दशक पुराना है. सीबीआई ने इस मामले में 64 केस दर्ज किए थे और लालू यादव का नाम इनमें से छह मुक़दमों में था. इनमें से पाँच केस बिहार विभाजन के बाद झारखंड में ट्रांसफ़र हो गए थे.
एक केस की सुनवाई पटना में हुई. इससे पहले लालू यादव को झारखंड सीबीआई कोर्ट में सभी चार केसों में दोषी ठहराया जा चुका था. मंगलवार को आख़िरी केस में सीबीआई कोर्ट फ़ैसला सुनाया है.
RC/47A/96 पाँचवां केस था और इसे सबसे अहम माना जाता है. इसमें सबसे ज़्यादा 139.5 करोड़ रुपए की हेराफेरी हुई थी.
डोरंडा ट्रेजरी से 1990-91 और 1995-96 के बीच अवैध निकासी हुई थी. इसमें लालू प्रसाद यादव समेत 99 लोग अभियुक्त थे. यहाँ से पैसे चारा, दवाई और पशु-कृषि विभाग में उपकरणों की ख़रीद के नाम पर निकाले गए थे.
लालू यादव को पहले के चार मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद 14 साल की क़ैद की सज़ा मिली हुई है. पिछले महीने सीबीआई जज एसके शशि ने पाँचवें मामले में सुनाई पूरी की थी. पाँचवें मामले में कुल 170 अभियुक्त थे लेकिन इनमें से 55 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें से सात सरकारी गवाह बन गए थे और दो लोगों ने गुनाह कबूल लिया था. इनमें से छह फरार हैं.
लालू यादव अभी ज़मानत पर जेल से बाहर हैं. फ़ैसला सुनाए जाने के बाद लालू यादव हिरासत में लिए गए. अभी वो कोर्ट रुम में ही हैं.
मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील पर लालू प्रसाद के ख़िलाफ़ चारा घोटाले के अलग-अलग मामलों से संबंधित मुक़दमा चलाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाइ कोर्ट के फ़ैसले को रद्द करते हुए कहा था कि प्रत्येक अपराध के लिए अलग सुनवाई होनी चाहिए. (bbc.com)