नाबालिग से दुष्कर्म, गिरफ्तारी नही होने से पीड़िता के समाज मे आक्रोश
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में एक नाबालिग युवती को डरा-धमकाकर लगातार रेप के एक सनसनीखेज मामले में, न्यायालय के आदेश के बाद चार दबंगों के खिलाफ आठ मार्च को एफआईआर दर्ज हुई है। यह सनसनीखेज मामला विधायक के गांव भंवरमाल का है। आरोपी भी विधायक के करीबी बताए जा रहे हैं। रेप और लगातार यौन शोषण का यह मामला चार महीने पहले का यानी नवंबर दो हजार इक्कीस का है। थाने फिर एसपी और फिर आईजी तक फरियाद के बावजूद न्याय ना मिलने पर पीड़िता की मां ने न्यायालय की शरण ली। रामानुजगंज न्यायालय की कड़ी फटकार के बाद 8 मार्च 2022 को आखिरकार पुलिस को अपराध दर्ज करना पड़ा। ग्राम पंचायत भंवरमाल निवासी आरोपी नरेंद्र सिंह, पिता नेपाल सिंह और नेपाल सिंह पिता लखन सिंह, रेवती सिंह (सरपंच ग्राम पंचायत भँवरमाल) पति नेपाल सिंह सभी निवासी भंवरलाल के साथ ही नगर पंचायत रामानुजगंज के एल्डरमैन अभिषेक सिंह, पिता नागेंद्र सिंह निवासी रामानुजगंज के खिलाफ आईपीसी की धारा 363, 366, 376, 34 एवं पाक्सो एक्ट की धारा 4,6 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। हालांकि अभी भी आरोपियों की गिरफ्तारी में पुलिस रुचि नहीं दिखा रही है।
यह मामला 28 नवंबर 2021 का है। पीड़िता नाबालिग युवती की मां ने थाने में सूचना दी कि ग्राम पंचायत भंवरलाल के सरपंच के बेटे नरेंद्र सिंह उसकी 17 साल की नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया था। उसकी बेटी के साथ नरेंद्र ने बलात्कार किया। पीड़िता की मां की शिकायत के मुताबिक नरेंद्र सिंह 28 नवम्बर को उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर घर ले गया और रास्ते में बलात्कार किया। तब आरोपी ने पीड़िता को धमकी दी थी अगर तुमने मुंह खोला तो तेरे माता-पिता को जान से मार दूंगा। पीड़िता की मां का आरोप है कि आरोपीगण स्थानीय विधायक के बहुत करीबी माने जाते हैं, जिसके कारण मेरी बेटी काफी डर गई थी। हालांकि पीड़िता की मां नहीं डरी और उसने लिखित शिकायत रामानुजगंज थाने में की। लेकिन उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई रामानुजगंज पुलिस ने नहीं की। तब पीड़िता की मां ने पुलिस अधीक्षक बलरामपुर से मिलकर मामले से अवगत कराया था। फिर भी कोई ठोस पहल नहीं की गई, फिर सरगुजा रेंज के तत्कालीन आईजी से भी शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई गई थी। लेकिन तब भी स्थानीय पुलिस मामले को रफा-दफा करने के प्रयास में लगी रही। लेकिन पीड़िता की मां ने हार नहीं मानी। उसने न्यायालय की शरण ली और अपनी पुत्री के साथ हुई नाइंसाफी के लिए न्याय की गुहार लगाई।
पीड़िता की मां पीड़िता की मां ने आरोप लगाया है कि सभी आरोपी स्थानीय विधायक के करीबी हैं और साथ ही दबंग प्रवृत्ति के लोग हैं। जिससे लगातार हम लोगों को जान का खतरा बना हुआ है। ऐसी परिस्थिति में न्यायालय के आदेश के बाद अपराध दर्ज तो हुआ लेकिन आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने के चलते वे भयभीत हैं। पीड़िता की मां ने न्यायालय का आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि न्याय अभी जिंदा है। जहां पुलिस प्रशासन ने दबाव में पीड़िता के साथ ही भेदभाव पूर्ण रवैया अपना रही थी, वहीं न्यायालय के आदेश ने न्याय प्रणाली पर विश्वास को जीवित रखा है।