RSS कार्यक्रम से लौटे आदिवासी नेता Arvind Netam, ‘धर्मांतरण रोकने के लिए डीलिस्टिंग पर सहमत’, संघ की कार्यशैली की सराहना
पूर्व केंद्रीय मंत्री और छत्तीसगढ़ के प्रमुख आदिवासी नेता Arvind Netam ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नागपुर स्थित मुख्यालय में आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर से लौटने के बाद आज...
07, June, 2025 | पूर्व केंद्रीय मंत्री और छत्तीसगढ़ के प्रमुख आदिवासी नेता Arvind Netam ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नागपुर स्थित मुख्यालय में आयोजित एक प्रशिक्षण शिविर से लौटने के बाद आज रायपुर में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने RSS प्रमुख मोहन भागवत को कार्यक्रम में आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद दिया और संघ की कार्यशैली की सराहना की।
संघ को करीब से समझा, वैचारिक दूरियां कम करने पर हुई चर्चा
नेताम ने बताया कि यह पहली बार था जब उन्हें संघ के किसी कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला, जिससे उन्हें RSS को “करीब से समझने का मौका मिला।” उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ हुई अपनी बातचीत को “खुली और सार्थक” बताया, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। विशेष रूप से, संघ और आदिवासी समाज के बीच मौजूद वैचारिक दूरियों को कम करने के उपायों पर गंभीरता से विचार-विमर्श हुआ।
‘धर्मांतरण सबसे बड़ी समस्या, डीलिस्टिंग पर सहमति’
एक महत्वपूर्ण बयान में, नेताम ने कहा कि पहले वह डीलिस्टिंग (अनुसूचित जनजाति की सूची से उन लोगों को हटाना जो धर्मांतरण कर चुके हैं) के विरोध में थे, लेकिन अब धर्मांतरण को रोकने के लिए उन्होंने इस मुद्दे पर सहमति जताई है। उन्होंने धर्मांतरण को आदिवासी समाज के लिए “सबसे बड़ी समस्या” बताया।
नेताम ने यह भी उल्लेख किया कि संघ आदिवासियों को ‘वनवासी’ कहता रहा है, जिसका वे विरोध करते आए हैं। हालांकि, उनके दबाव के बाद अब संघ ने ‘आदिवासी’ शब्द का उपयोग शुरू किया है।
कांग्रेस के उदारीकरण पर साधा निशाना, संघ को बताया अंतिम आशा
नेताम ने आदिवासी समाज में एकजुटता की कमी को दूर करने के लिए RSS से कोई रास्ता निकालने का आग्रह किया। उन्होंने कांग्रेस के कार्यकाल में लाए गए उदारीकरण की नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा कि “कांग्रेस के दौरान लाए गए उदारीकरण ने आदिवासी समाज के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी।” उन्होंने आगे कहा, “जब देश में सारी आशाएं खत्म हो जाती हैं, तो संघ ही एकमात्र स्थान बचता है जो मदद कर सकता है।”
उन्होंने आदिवासी समाज के जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के मुद्दे को भी संघ के सामने रखा। नेताम ने दृढ़ता से कहा, “अगर समाज का अस्तित्व खतरे में है, तो जो भी इस पर मदद करेगा, हम उससे सहायता लेंगे।”



