छत्तीसगढ़

साप्ताहिक अवकाश में आनाकानी, नहीं बन रहा पुलिस का रोस्टर

रायपुर। पांच माह पूर्व पुलिस को साप्ताहिक अवकाश देने की घोषणा से छाई उत्सुकता विभाग में ठंडी पड़ती जा रही है। थानों में वर्क लोड हर दिन बढ़ने के साथ उन्हें हफ्ते में एक दिन की छुट्टी देने की गारंटी कागजों में सिमटने के बाद कर्मचारियों के चेहरे में मायूसी लटकने लगी है। जिलों में जिस तरह से बलों की व्यवस्था है, उस हिसाब से कर्मचारियों का रोस्टर बन पाना मुश्किल हो रहा है।
इसका उदाहरण रायपुर जिले से लगाया जा सकता है, जहां से अब तक कोई भी प्रयास शुरू नहीं हो पाया है। रोस्टर बनाकर ड्यूटी चार्ट की सारी जानकारियां पुलिस मुख्यालय को भेजा जाना चाहिए था, लेकिन जिला पुलिस यह नहीं कर पाई। जिले में थानों की स्थिति देखकर बलों की तंगी एक बड़ी समस्या बताई गई, जबकि हर दिन काम का दबाव कम होने से रोस्टर बनने में विलंब होना बताया।
विभागीय सूत्र ने दावा किया कि जितने का बल है, उस हिसाब से रोस्टर सेट ही नहीं हो पा रहा है। ऐसे में इस ओर प्रक्रिया शुरू कर पाना भी मुश्किल-सा हो रहा है। जो कर्मचारी नाइट ड्यूटी करते हैं, उन्हें ही अगले दिन की छुट्टी मिलने का सिस्टम बन सकता है, लेकिन व्यवहारिक रूप से यह कर पाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि जिला बल में कई कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो कार्यालयीन काम काज संभालते हैं।
महिलाकर्मियों की नाइट में ड्यूटी नहीं लगती। इस लिहाज से भी रोस्टर का चार्ट मुश्किल हो रहा है। एसएसपी आरिफ एच शेख के मुताबिक विभागीय आदेश के अनुसार प्रक्रिया चल रही है। मौजूदा स्थिति देखकर बेहतर इंतजाम होंगे।
– रायपुर जिले में अस्थाई तौर पर प्रयोग करके देखा गया लेकिन प्रयास सिफर।
– सबसे ज्यादा कानून व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी कर्मचारियों पर, राजधानी में रोजाना नया शेड्यूल।
– अपराधों के आकड़ों पर गौर करें तो रिकार्ड मामले हर साल में। औसतन दस हजार मामले एक महीने में पुलिस के पास।
– गश्ती दल, डाक व कार्यालयीन व्यवस्था के लिए थानों से ही पुलिसकर्मियों की ड्यूटी का दबाव लोकल स्टाफ पर ज्यादा।
पुलिस मुख्यालय ने सीआईडी के साथ भंग किए गए पुराने क्राइम ब्रांच की यूनिट में काम करने वालों को लेकर सीआइडी की स्पेशल शाखा बनाने जिला अधीक्षकों को पत्र लिखा है, जिसके बाद से भी बेचैनी बढ़ गई है। दरअसल थानों में पहले से स्वीकृत पदों के हिसाब से 20 से 25 प्रतिशत बलों का टोटा है। बलों का बंटवारा कुछ महीने पहले डायल 112 के लिए भी हो चुका है। अब यहीं से कर्मचारी-अफसर स्पेशल यूनिट के लिए निकले, तो दोहरा दबाव होगा।
आइजी दरबार से लेकर पुलिस मुख्यालय में डीजी कार्यालय में छुट्टी की मांग हो चुकी है। कई बार कर्मचारियों से रूबरू होने पर भी साप्ताहिक अवकाश की व्यवस्था जल्द से जल्द लागू करने की मांग हुई है। लिखित में भी निवेदन किया गया है। जिसमें यह भी कहा गया है, व्यस्तता से दूर छुट्टी लेकर परिवार के साथ रहने वक्त मिलेगा, इससे तनाव दूर होगा।

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