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गर्मी ले रही चमगादड़ों की जान, परसदा गांव के 10-15 चमगादड़ रोज़ मौत के आग़ोश में सो रहे

गर्मी ऐसी की बेचैन बढ़ रही। इंसान तो बोलकर अपनी पीड़ा व्यक्त कर सकता है, लेकिन बेज़ुबान कैसे कहे! छत्तीसगढ़ में पड़ रही भीषण गर्मी ने कई रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। अब तक गर्मी से 12 इंसानों की मौत भी हो गई है। लेकिन प्रदेश में एक गांव ऐसा भी है, जहां रोज़ 10-15 चमगादड़ मौत के आग़ोश में सो रहे हैं। कोरबा ज़िले के पाली विकासखंड का परसदा गांव, जहां हनुमान तालाब के किनारे पीपल पेड़ पर चमगादड़ों का बसेरा होता है। उनकी कलरव ऐसी कि- गांव गूंज जाता। जब वो उड़ान भरते, तो आसमान भी उनकी उड़ान को सहयोग करता। लेकिन अब ना तो उनकी कलरव गूंज रही, ना आकाश उनकी संख्या से छा रहा। बल्कि भीषण गर्मी की चपेट में आकर, लू लगने से हफ़्ते भर के अंदर 100 से ज़्यादा चमगादड़ मर चुके हैं। जब भी कोई तालाब आता है, चमगादड़ों के शव देखकर दुखी हो जाता है। चूंकि अभी तालाब से सफ़ाई के लिए पानी निकाला गया है, इसलिए चमगादड़ों की समस्या में इज़ाफ़ा हुआ।

अब वन विभाग के अधिकारी चमगादड़ों की मौत पर हरकत में आए हैं। अधिकारियों ने मृत चमगादड़ों की पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया के अलावा उनके बचाव के लिए जल संकट को दूर करने संबंधी उपाय पर विचार कर रहे हैं। पाली ब्लॉक को हरियाली का क्षेत्र भी कहा जाता है, जहां की अधिकांश आबादी वनांचल में निवास करती है। इसीलिए इस क्षेत्र में वन्य जीव और वन संपदा के साथ हरियाली भी भरपूर है। कई प्रजाति के पशु पक्षी का रहवास भी यहां होता है और तो और गांव के बाहर तालाबों के किनारों पर लगे वृक्षों में पक्षियों का डेरा जमा रहता है। अभी पारा 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है, इसलिए इंसानों के साथ बेज़ुबानों को भी भारी समस्या आ रही है।

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