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बिलासपुर से नापा दिल्ली तक का सफ़र, किसान परिवार का छत्तीसगढ़िया बेटा बना केंद्रीय राज्यमंत्री

लोकसभा चुनाव में NDA को बहुमत मिली, इधर छत्तीसगढ़ में 10 सीट भाजपा ने जीती। अब चर्चा चलने लगी कि- इस बार छत्तीसगढ़ से दिल्ली कौन जा रहा है! जवाब मिला, पर देर से! शपथ ग्रहण की तैयारियां शुरू हो गई थी, अब तक छत्तीसगढ़ की जनता अबूझ पहेली में उलझी हुई थी। अचानक PMO से बिलासपुर में किसान परिवार के बेटे को एक कॉल आता है और कहा जाता है कि- आपको भी शपथ लेनी है। फिर क्या! आतिशबाज़ी, पटाखों की गूंज और ख़ुशियों की मिठास उमड़ने लगती है। 2024 के लोकसभा चुनाव में जिन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को लाख 64 हज़ार वोट से पटखनी दी, वो अब केंद्रीय राज्यमंत्री बन गए हैं। जी हां बात हो रही है- बिलासपुर से सांसद और अब केंद्रीय राज्यमंत्री बने तोखन साहू की।

छत्तीसगढ़िया बेटे ने जब सांसद चुने जाने के बाद संसद में प्रवेश द्वार की सीढ़ियों को जोहार किया, तो निम्न सदन उच्चता के साथ तोखन का स्वागत करने के लिए तैयार हो गया था। बस ज़रूरत थी, तो औपचारिक घोषणा की। ख़ैर तोखन अब अपने पंच से शुरू हुए सेवा की संकल्पना को केंद्रीय राज्यमंत्री बनकर साकार रूप देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

सादगी और सेवा से भरे तोखन
तोखन साहू का जीवन सादगी से भरा हुआ है और जैसा वो दिखते हैं, वैसा ही उनका व्यक्तित्व भी है। तोखन एक बेहद साधारण किसान परिवार से आते हैं। उनका जन्म मुंगेली ज़िले के ग्राम डिंडौरी में 15 अक्टूबर 1969 को हुआ। उन्होंने M Com तक की शिक्षा ग्रहण की है। उनकी राजनीतिक सेवा की शुरुआत सन 1994 में हुई, जब वो लोरमी के छोटे से गांव सूरजपुरा से पंच चुने गए। उनकी पत्नी का नाम लीलावती साहू है। पंच बनने के बाद वो सरपंच चुने गए, फिर जनपद सदस्य भी रहे। बड़े परदे पर उनकी एंट्री 2013 में हुई, जब वो पहली बार लोरमी विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए। डॉ रमन की सरकार में उन्हें संसदीय सचिव भी बनाया गया था। सेवा की क्षमता ने उनको लगातार क़ामयाबी दिलाई और तोखन 2014 में छत्तीसगढ़ वन्य जीव बोर्ड के सदस्य बने साथ ही वर्ष 2015 में कृषि, मछलीपालन, पशुपालन, जलसंसाधन विभाग के संसदीय सचिव भी बने। इसके बाद वो दौर भी आया, जब साल 2018 में भाजपा ने उन्हें दूसरी बार लोरमी विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन इस बार वो धर्मजीत सिंह से हार गए।

बड़े नाम के बीच चमके तोखन
एनडीए की सरकार बनने पर मुहर लगने के बाद, छत्तीसगढ़ से दिल्ली जाने वालों में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल का नाम सबसे ऊपर लिया जा रहा था। चर्चाओं का बाज़ार तो यहां तक गर्म था कि- दुर्ग सांसद विजय बघेल और संतोष पांडेय के नामों पर भी चर्चा चल रही है। लेकिन कयासों को पीछे छोड़कर तोखन को बुलावा आया।

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