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खुले बाज़ार में मची लूट, अधिक दामों पर बेचे जा रहे खाद

प्रदेश में धीरे-धीरे मानसून सक्रिय होता जा रहा है और इसके साथ ही अब किसानों ने खेतों में जुताई के बाद बीज बोने का काम भी शुरू कर दिया है। लेकिन इसमें भी किसानों के लिए राहत की ख़बर नहीं है, क्योंकि सहकारी सोसाइटियों में वैसे तो खाद का स्टॉक अभी भी पर्याप्त मात्रा में है, परन्तु प्रति हेक्टेयर खाद की मात्रा निर्धारित होने की वजह से, किसानों को खुले बाज़ार से खाद लेनी पड़ रही है। खादों के दाम भी मनमाने। जी हां यूरिया, पोटाश और डीएपी के साथ राखड़ काफ़ी ऊँचे दामों पर बेचे जा रहे हैं। 266 रुपए की यूरिया बस्तर के खुले मार्केट में 300 रुपए से ज़्यादा की क़ीमत में मिल रही है। इधर मार्कफेड एमडी रमेश शर्मा कहते हैं कि- पिछले साल की तरह ही इस बार भी सोसाइटियों को खाद वितरित किया गया है और प्रदेश में खाद की कोई कमी नहीं है। राजधानी रायपुर में किसानों को उनकी मांग के अनुसार सोसाइटियां बीज और खाद उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। इसी वजह से उन्हें निजी दुकानों का रुख़ करना पड़ रहा है।

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