Gangster Aman Sahu Encounter: गैंगस्टर अमन साहू की अंत की कहानी, एनकाउंटर में पुलिस ने ऐसे किया ढेर
Gangster Aman Sahu Encounter: झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया गया। मंगलवार को उसे रायपुर जेल से झारखंड पुलिस...

Gangster Aman Sahu Encounter: झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर अमन साहू को पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया गया। मंगलवार को उसे रायपुर जेल से झारखंड पुलिस की रिमांड में रांची लाया जा रहा था, तभी रास्ते में यह मुठभेड़ हुई।
कैसे हुआ एनकाउंटर?
पलामू SP रिष्मा रमेशन के अनुसार, अमन साहू को NIA के एक मामले में ATS की टीम रायपुर से रांची ला रही थी। जब स्कॉर्पियो चैनपुर-रामगढ़ रोड के अन्हारी ढ़ोढ़ा घाटी पहुंची, तभी अमन के साथियों ने उसे छुड़ाने के लिए स्कॉर्पियो पर बम से हमला कर दिया। यह घटना सुबह 9:15 बजे की है।
बमबारी के दौरान अमन ने हवलदार राकेश कुमार की राइफल छीनकर फायरिंग करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने तुरंत जवाबी कार्रवाई करते हुए उसे ढेर कर दिया। इस दौरान हवलदार को भी गोली लगी, जिसका इलाज एमएमसीएच पलामू में चल रहा है।
घटनास्थल जंगल से घिरा हुआ है और मोबाइल नेटवर्क की दिक्कत भी है। सुरक्षा कारणों से पुलिस ने आम लोगों और मीडिया की आवाजाही को 100 मीटर पहले ही रोक दिया है।
अमन साहू: झारखंड पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती
अमन साहू कोयला कारोबारी, ट्रांसपोर्टर, ठेकेदार, रियल एस्टेट कारोबारी और बिल्डरों से रंगदारी वसूलता था। जो नहीं मानते थे, उन पर फायरिंग करवा देता था। इतना ही नहीं, उसके गुर्गे सोशल मीडिया पर घटना की जिम्मेदारी भी लेते थे और मीडिया को वर्चुअल नंबर से जानकारी देते थे।
अमन साहू का अपराध की दुनिया में प्रवेश
अमन साहू, जिसे अमन साव के नाम से भी जाना जाता था, झारखंड के बुढ़मू गांव में 1995 में जन्मा था। उसने 2010 में 78% अंकों के साथ मैट्रिक पास किया और पंजाब के मोहाली से इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा किया।
2012 में जब वह घर आया, तो उसकी मुलाकात झारखंड जनमुक्ति मोर्चा के नेता कुलेश्वर सिंह से हुई और यहीं से उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। 2015 में वह पहली बार जेल गया, जहां उसकी दोस्ती कुख्यात अपराधियों सुजीत सिन्हा और मयंक सिंह से हुई। इसके बाद वह उग्रवादी और आपराधिक गिरोहों के संपर्क में आया।
रायपुर में भी फैला रखा था आतंक
अमन साहू रायपुर में भी रंगदारी का खेल चला रहा था। वह वहां पिछले साढ़े तीन महीने से जेल में था और कारोबारी प्रह्लाद राय अग्रवाल की कार पर फायरिंग का मुख्य आरोपी था।
रायपुर के तेलीबांधा इलाके में स्थित PRA कंस्ट्रक्शन के दफ्तर पर 13 जुलाई को फायरिंग हुई थी। इस हमले में अमन के साथ लॉरेंस बिश्नोई का नाम भी सामने आया था। इसी केस में उसे 14 अक्टूबर को 40 पुलिसकर्मियों की टीम झारखंड से रायपुर लेकर आई थी।
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की टीम ने किया ढेर
अमन के एनकाउंटर की जिम्मेदारी 1994 बैच के सब-इंस्पेक्टर और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रमोद कुमार सिंह को दी गई थी। फिलहाल वे ATS में DSP के पद पर तैनात हैं।
प्रमोद कुमार सिंह ने पलामू, धनबाद और रांची समेत कई जिलों में काम किया है। 2022 में धनबाद में उन्होंने बैंक लूटेरों को दिन-दहाड़े मार गिराया था।
विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता था अमन
अमन साहू बड़कागांव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहता था। उसने नामांकन पत्र भी खरीदा था और झारखंड हाईकोर्ट में अनुमति के लिए याचिका दाखिल की थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी, क्योंकि उसके खिलाफ 120 से ज्यादा गंभीर मामले दर्ज थे।
झारखंड पुलिस को बड़ी कामयाबी
अमन साहू के एनकाउंटर से झारखंड पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। यह एनकाउंटर अपराध की दुनिया में बड़ा संदेश देने वाला साबित हो सकता है।