छत्तीसगढ़

बिलासपुर हाई कोर्ट का के कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला, निलंबन अवधि को ड्यूटी का हिस्सा माना जाएगा

बिलासपुर हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें...

बिलासपुर हाई कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें निलंबन अवधि को कर्मचारियों की ड्यूटी का हिस्सा माना जाएगा। यह फैसला रायगढ़ वन मंडल में कार्यरत फॉरेस्टर दिनेश सिंह राजपूत की रिट याचिका पर सुनवाई के बाद आया। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने राज्य शासन के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें कर्मचारी के निलंबन अवधि को ड्यूटी का हिस्सा नहीं माना गया था और शत-प्रतिशत रिकवरी का आदेश दिया गया था।

मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस बीडी गुरु ने रिट याचिका को स्वीकार करते हुए राज्य शासन के आदेश को खारिज कर दिया। जस्टिस गुरु ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए निलंबन अवधि को ड्यूटी का हिस्सा मानने की व्यवस्था दी। उन्होंने अपने फैसले में यह भी कहा कि अनुशासनात्मक प्राधिकारी और अपीलीय प्राधिकारी ने निलंबन अवधि को कर्तव्य के रूप में नहीं माना, जबकि इसी तरह के मामलों में अन्य कर्मचारियों के निलंबन अवधि को कर्तव्य के रूप में स्वीकार किया गया है, जो भेदभावपूर्ण प्रतीत होता है।

याचिकाकर्ता दिनेश सिंह राजपूत ने अपने वकीलों संदीप दुबे और आलोक चंद्रा के माध्यम से वन विभाग के फैसले को चुनौती दी थी।

मामला क्या है?

दिनेश सिंह राजपूत, जो वर्तमान में रायगढ़ वन मंडल में वनपाल के पद पर कार्यरत हैं, ने 05.09.2022 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके बड़े दंड को छोटे दंड में बदल दिया गया था और निलंबन की अवधि को कर्तव्य नहीं माना गया था।

राजपूत 02 जनवरी 2015 से 02 जुलाई 2019 तक एतमानगर रेंज के पोंडी सब-रेंज में कोंकणा बीट के अतिरिक्त प्रभार के साथ बीट गार्ड बरौदखर के पद पर तैनात थे। 02 जुलाई 2019 को उन्हें तथ्यों को छिपाने और वरिष्ठ अधिकारियों को गुमराह करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था।

पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में रिपोर्ट के अध्ययन के बाद 08 मई 2020 को मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर ने निलंबन आदेश को निरस्त कर दिया। विभागीय जांच के दौरान उन्हें कटघोरा रेंज कार्यालय में विशेष ड्यूटी पर वन रक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था। आदेश में यह भी उल्लेख किया गया कि निलंबन अवधि विभागीय जांच के साथ तय की जाएगी। याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्हें 312 दिनों (10 माह 7 दिन) तक निलंबित रखा गया था।

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