Bilaspur High Court: महामाया मंदिर तालाब में 23 कछुओं की मौत पर चीफ जस्टिस सख्त, बोले- ‘पुजारी-पुजारी कहकर बचाव मत करिए’
Bilaspur High Court: रतनपुर स्थित महामाया मंदिर के कुंड में जाल डालकर 23 कछुओं के शिकार का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस मामले को गंभीर मानते हुए
17, April, 2025 | बिलासपुर। Bilaspur High Court: रतनपुर स्थित महामाया मंदिर के कुंड में जाल डालकर 23 कछुओं के शिकार का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। इस मामले को गंभीर मानते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इसे जनहित याचिका (PIL) के रूप में दर्ज करने का निर्देश दिया। कोर्ट के आदेश पर इसे वन विभाग और राज्य शासन के संबंधित विभागों को पक्षकार बनाकर रजिस्टर्ड किया गया है।
पुजारी के खिलाफ FIR, कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका
इस घटना के बाद वन विभाग की शिकायत पर मंदिर के पुजारी सतीश शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए पुजारी ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने मामले की गंभीरता पर नाराजगी जताते हुए कहा, “पुजारी-पुजारी कहकर बचाव मत करिए।”
कोर्ट ने DFO बिलासपुर को निर्देश दिया है कि वे शपथ पत्र सहित जवाब पेश करें। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
“हमारी कोई सीधी भूमिका नहीं”: पुजारी की दलील
पुजारी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता मंदिर का मुख्य पुजारी है और तालाब की सफाई मंदिर ट्रस्ट के निर्देश पर कराई गई थी। इसके लिए मछुआरों को सफाई का ठेका दिया गया था। तालाब की सफाई के दो दिन बाद मृत कछुए पाए गए। अधिवक्ता ने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया में पुजारी की कोई सीधी भूमिका नहीं है और जो भी हुआ, ट्रस्ट के आदेश के अनुसार हुआ।
कोर्ट की सख्ती: अनुमति थी या नहीं?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि तालाब खोलने की अनुमति पुजारी को किसने दी थी? अधिवक्ता ने जवाब दिया कि यह निर्णय ट्रस्ट का था और याचिकाकर्ता ने केवल उसी का पालन किया। इस पर चीफ जस्टिस ने जोर देते हुए पूछा कि क्या सफाई के लिए अधिकृत मछुआरों के पास विधिवत अनुमति थी।
राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि आनंद जायसवाल (ठेकेदार), अरुण धीवर और विष्णु धीवर (मछुआरे) को आरोपी बनाया गया है। FIR की कॉपी रिकॉर्ड में पेज 14 पर संलग्न है।
इस पूरे मामले ने अब तूल पकड़ लिया है, और हाई कोर्ट की सख्ती से स्पष्ट है कि वन्यजीवों की हत्या के इस मामले में जिम्मेदारी तय करने के लिए गहन जांच होगी। कोर्ट का कहना है कि धार्मिक स्थानों में पर्यावरणीय और वन्यजीव संरक्षण की अनदेखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।



