राडार पर छत्तीसगढ़ के कलेक्टर्स: अब अटल पोर्टल से होगी 10 प्रमुख योजनाओं की निगरानी
छत्तीसगढ़ में अब जिला कलेक्टर्स की कार्यशैली और योजनाओं के क्रियान्वयन पर मुख्यमंत्री सचिवालय की कड़ी नजर रहने वाली है। सरकार ने यह साफ कर दिया...

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब जिला कलेक्टर्स की कार्यशैली और योजनाओं के क्रियान्वयन पर मुख्यमंत्री सचिवालय की कड़ी नजर रहने वाली है। सरकार ने यह साफ कर दिया है कि अब सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी से सिस्टम को गुमराह नहीं किया जा सकेगा। प्रदेश के सभी 33 जिलों के कलेक्टर्स के कामकाज की सीधे मुख्यमंत्री सचिवालय से अटल मॉनिटरिंग पोर्टल के माध्यम से निगरानी की जाएगी। इस प्रणाली को “सीएम डैशबोर्ड” के नाम से भी जाना जाएगा।
इस अत्याधुनिक निगरानी तंत्र के जरिए अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय या उनके सचिवालय के अधिकारी एक क्लिक में यह जान सकेंगे कि किस जिले में कौन-सी योजना कितनी प्रभावी ढंग से लागू हो रही है, और कहां काम धीमा चल रहा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि योजनाएं जमीनी स्तर पर आम जनता तक पहुंचे और वास्तविक प्रगति हो, न कि केवल कागजों में।
अटल मॉनिटरिंग पोर्टल: पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में कदम
मुख्यमंत्री सचिवालय ने योजनाओं की Key Performance Indicators (KPI) की नियमित समीक्षा शुरू कर दी है। इसके तहत https://ampdashboard.cgstate.gov.in पोर्टल पर 10 प्रमुख योजनाओं को टॉप प्रायोरिटी दी गई है। इन योजनाओं पर जिलों की प्रगति लगातार अपडेट होगी और अगर कोई जिला पीछे रह जाता है, तो उसकी जवाबदेही तय की जाएगी।
ये हैं 10 टॉप प्राथमिकता वाली योजनाएं
- आयुष्मान कार्ड – गरीब और जरूरतमंद परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराने की योजना।
- कृषि विभाग – किसानों को अनुदान, बीमा, और तकनीकी सहायता।
- पीएम श्री स्कूल – गुणवत्ता शिक्षा और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर से युक्त स्कूलों का विकास।
- पीएमएवाई ग्रामीण – ग्रामीण क्षेत्रों में पक्के आवास का निर्माण।
- पीएमएवाई शहरी – शहरी गरीबों के लिए आवास योजनाएं।
- महतारी वंदन योजना – माताओं को पोषण और आर्थिक सहयोग उपलब्ध कराना।
- राजस्व न्यायालय – भूमि से जुड़े विवादों और मामलों का समयबद्ध निपटारा।
- स्वच्छ भारत मिशन – स्वच्छता को जन आंदोलन बनाने की दिशा में प्रयास।
- स्वामित्व योजना – ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्ति अधिकार का डिजिटाइजेशन।
- स्वास्थ्य विभाग – अस्पतालों, स्वास्थ्य शिविरों और सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच।
राजस्व न्यायालय में पिछड़ रहे कुछ जिले
मुख्यमंत्री सचिवालय ने राजस्व न्यायालय से संबंधित आंकड़े जारी किए हैं, जिनमें दुर्ग, सरगुजा, बलरामपुर और कोरिया जैसे जिले प्रदर्शन के लिहाज से पिछड़ते नजर आए हैं। बीते एक वर्ष में 3.38 लाख राजस्व प्रकरण दर्ज हुए थे, जिनमें से केवल 2 लाख मामलों का निपटारा हुआ। इसके विपरीत, बस्तर क्षेत्र के जिलों ने राजस्व मामलों के निपटारे में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है।
मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह ने कलेक्टर्स को व्हाट्सएप संदेश के माध्यम से परफॉर्मेंस सुधारने का निर्देश दिया है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि कलेक्टरों को अपने-अपने जिलों में योजनाओं को लागू करने में सक्रिय और जवाबदेह भूमिका निभानी होगी।
इस नई प्रणाली से सरकार की मंशा स्पष्ट है कि अब विकास योजनाओं को आंकड़ों में नहीं, बल्कि जनहित में प्रभावी क्रियान्वयन के रूप में देखा जाएगा। इसका सीधा असर न केवल प्रशासनिक कार्य संस्कृति पर पड़ेगा, बल्कि राज्य के विकास की रफ्तार को भी गति मिलेगी।



