Labour Day पर विशेष: छत्तीसगढ़ में महिलाओं की मेहनत की मिसाल, पुरुषों से तीन गुना संख्या में कर रही श्रम
Labour Day: छत्तीसगढ़ में श्रमिक महिलाओं की मेहनत पुरुषों से कहीं अधिक दिखाई दे रही है। ये महिलाएं पत्थर तोड़ने, मकान निर्माण, कुएं खोदने जैसे कठिन और
01, May, 2025 | रायपुर। Labour Day: छत्तीसगढ़ में श्रमिक महिलाओं की मेहनत पुरुषों से कहीं अधिक दिखाई दे रही है। ये महिलाएं पत्थर तोड़ने, मकान निर्माण, कुएं खोदने जैसे कठिन और शारीरिक श्रम वाले काम खामोशी से कर रही हैं। हैरानी की बात यह है कि राज्य में पुरुषों की तुलना में तीन गुना महिलाएं श्रमिक के रूप में पंजीकृत हैं। श्रमिक दिवस के मौके पर यह तस्वीर सामने आई है, लेकिन इन मेहनतकश महिलाओं के जीवन की तस्वीर अब भी बदलाव की राह देख रही है।
राज्य शासन द्वारा भवन और अन्य सन्निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों का पंजीयन भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल के माध्यम से किया जाता है। इस पंजीयन के आंकड़े बताते हैं कि गरीबी और जरूरत के चलते महिलाएं न केवल घर की जिम्मेदारियां संभाल रही हैं, बल्कि परिवार का पेट पालने के लिए पुरुषों से भी ज्यादा कठिन काम कर रही हैं।
महिलाओं की संख्या में भारी बढ़त
1 जनवरी 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, मंडल में कुल 3,13,688 महिला श्रमिकों का पंजीयन हुआ है, जबकि पुरुष श्रमिकों की संख्या सिर्फ 1,04,533 है। यह साफ दर्शाता है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या तीन गुना है।
जिलेवार महिला श्रमिकों की स्थिति
राजधानी रायपुर में सबसे अधिक 36,429 महिला श्रमिक पंजीकृत हैं। इसके बाद धमतरी और बिलासपुर में लगभग 23 हजार, राजनांदगांव में 22,687, दुर्ग में 19,378, महासमुंद में 16,823, कांकेर में करीब 14 हजार, बालोद में 15 हजार, कर्वधा में 13,500 और जांजगीर-चांपा में लगभग 13 हजार महिला श्रमिक कार्यरत हैं।
राज्य में कुल पंजीकृत महिला श्रमिकों की संख्या 19,25,877 है, जबकि पुरुष श्रमिकों की संख्या 8,71,017 है। यह अंतर दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ में महिलाएं आज भी श्रम की असली ताकत बनी हुई हैं, लेकिन उनके जीवन स्तर में बदलाव की दर अब भी धीमी है।



