Basava Raju News: नक्सली कमांडर बसवराजू को नहीं मिलेगा ‘हीरो’ बनने का मौका, पुलिस नहीं सौंपेगी परिवार को शव
Basava Raju News: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में 22 मई को हुए एक बड़े एनकाउंटर में मारा गया टॉप नक्सली नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू अब नक्सल समर्थकों के लिए 'हीरो' नहीं...

26, May, 2025 | Basava Raju News: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में 22 मई को हुए एक बड़े एनकाउंटर में मारा गया टॉप नक्सली नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू अब नक्सल समर्थकों के लिए ‘हीरो’ नहीं बन पाएगा। पुलिस ने साफ संकेत दिए हैं कि उसका अंतिम संस्कार गुपचुप तरीके से किया जाएगा और शव उसके परिवार को नहीं सौंपा जाएगा। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अगर शव परिवार को दिया गया तो नक्सल समर्थक उसके अंतिम संस्कार को एक राजनीतिक और भावनात्मक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे नक्सलवाद को नया जीवन मिल सकता है।
आतंकवादियों की तरह होगा अंतिम संस्कार
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, बसवराजू का अंतिम संस्कार जम्मू-कश्मीर में मारे गए आतंकियों की तर्ज पर किया जाएगा, जहां एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के शव परिवार को नहीं दिए जाते और उन्हें किसी गुप्त स्थान पर दफनाया जाता है। इस प्रक्रिया में केवल परिवार के कुछ नजदीकी सदस्यों को शामिल होने की इजाजत दी जाती है ताकि अंतिम संस्कार की रस्में शांतिपूर्वक पूरी की जा सकें, लेकिन किसी भी प्रकार का जन समर्थन या नक्सल भावनाओं का प्रदर्शन न हो।
परिवार कर रहा है शव की मांग
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बसवराजू के कुछ परिजनों, जिसमें उसका भाई और सौतेली मां शामिल हैं, ने आंध्र प्रदेश के श्रीक्कुलम जिले से छत्तीसगढ़ पुलिस से संपर्क कर शव को सौंपने की मांग की है। हालांकि, पुलिस फिलहाल इन दावों की सत्यता की जांच कर रही है और किसी भी अंतिम निर्णय से पहले सभी पहलुओं पर विचार कर रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यदि परिवार से जुड़े कुछ लोग वास्तव में प्रमाणित होते हैं तो उन्हें सीमित संख्या में अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है, परंतु स्थान और प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय रखी जाएगी।
क्यों नहीं सौंपा जाएगा शव?
पुलिस और खुफिया एजेंसियों का मानना है कि नक्सलियों या आतंकियों को ‘शहीद’ या ‘हीरो’ की तरह प्रस्तुत किए जाने से उनके विचारों को समर्थन मिलता है, जो नई भर्तियों और जन समर्थन को बढ़ावा देता है। ऐसे में बसवराजू जैसे खूंखार नक्सली के शव को परिवार को सौंपना कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन सकता है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, “हम ऐसा कोई मंच नहीं देना चाहते जिससे उसे नायक की तरह प्रस्तुत किया जाए। जरूरत पड़ी तो बीच का रास्ता निकालेंगे, लेकिन अंतिम संस्कार पूरी निगरानी और गोपनीयता के साथ किया जाएगा।”
नक्सलवाद के खिलाफ सरकार का मिशन
गौरतलब है कि 22 मई को हुए ऑपरेशन में बसवराजू समेत 27 नक्सली ढेर किए गए थे। यह देश के सबसे बड़े और सफलतम नक्सल विरोधी अभियानों में से एक था। भारत सरकार ने घोषणा की है कि 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाएगा।
बसवराजू की मौत भले ही नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता हो, लेकिन उसका शव उसके समर्थकों के लिए एक प्रोपेगेंडा टूल बन सकता है, जिसे रोकने के लिए पुलिस और सरकार ने पहले से ही रणनीति बना ली है। यह फैसला न केवल बसवराजू जैसे अपराधियों को महिमामंडन से बचाएगा, बल्कि नक्सलियों के प्रचार और भर्ती अभियान पर भी करारा प्रहार करेगा।



