छत्तीसगढ़

Naxal Free Chhattisgarh: बसव राजू के बाद अब हिड़मा समेत ये 15 शीर्ष नक्सली सुरक्षा बलों के निशाने पर

Naxal Free Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान ने निर्णायक मोड़ ले लिया है। हाल ही में अबूझमाड़ के जंगलों में बहुचर्चित माओवादी..

रायपुर। Naxal Free Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान ने निर्णायक मोड़ ले लिया है। हाल ही में अबूझमाड़ के जंगलों में बहुचर्चित माओवादी नेता बसव राजू के मारे जाने के बाद अब सुरक्षा बलों का अगला निशाना 15 शीर्ष माओवादी हैं, जिन पर कुल 8.40 करोड़ रुपये का इनाम घोषित है। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि इनमें से 9 माओवादी फिलहाल बस्तर के जंगलों में सक्रिय हैं और उनके ठिकानों की पुख्ता जानकारी मिल चुकी है।

मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति सबसे बड़ा माओवादी टारगेट

मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति
मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति

 

सबसे बड़ा नाम 74 वर्षीय मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति का है, जिस पर एक करोड़ रुपये का इनाम है। गणपति, बसव राजू से पहले माओवादियों का प्रमुख रह चुका है और अब केंद्रीय कमेटी का सलाहकार है। वर्ष 2018 में बीमारी के कारण उसने नेतृत्व छोड़ दिया था। गणपति सहित चार शीर्ष माओवादी पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के सदस्य हैं।

बस्तर में मौजूद हैं कई बड़े माओवादी नेता

बस्तर के जंगलों में मौजूद अन्य बड़े माओवादी नेताओं में भूपति, देवजी, गुड़सा उसेंडी, कोसा, चंद्रन्ना, कल्पना, हिडमन्ना सहित अन्य शामिल हैं। सुरक्षा बलों का स्पष्ट कहना है कि यदि ये सभी आत्मसमर्पण नहीं करते हैं, तो उनका हश्र भी बसव राजू जैसा ही होगा।

माओवादी संगठन के ढांचे को लगातार मिल रहा झटका

राज्य में डबल इंजन सरकार आने के बाद बीते 16 महीनों में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों ने तीव्र अभियान चलाया है। इस दौरान कुल 448 माओवादी मारे जा चुके हैं, जिनमें 420 के शव सुरक्षा बलों को मिले हैं और बाकी की पुष्टि माओवादी संगठनों द्वारा की गई है। वहीं, 1402 माओवादी गिरफ्तार हुए हैं और 1367 ने आत्मसमर्पण किया है।

बस्तर में अब रह गए हैं केवल 300 सक्रिय माओवादी

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार अब बस्तर क्षेत्र में केवल 300 के करीब ही सशस्त्र माओवादी बचे हैं, जिनमें लगभग 25 शीर्ष स्तर के नेता हैं। माओवादी नेटवर्क को कमजोर करने में सबसे बड़ी भूमिका 200 से अधिक फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस (एफओबी) की रही है, जिनके जरिए सुरक्षा बल सीधे माओवादी गढ़ों तक पहुंच बना पाए हैं।

तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा से अबूझमाड़ तक जारी है अभियान

सुरक्षा बलों का अभियान अब कर्रेगुट्टा की पहाड़ी (तेलंगाना सीमा) से लेकर अबूझमाड़ तक फैला हुआ है। जंगलों में माओवादियों के ठिकानों पर सीधा प्रहार किया जा रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत लाभ दिया जा रहा है।

आइजी बस्तर सुंदरराज पी. का बयान

आईजीपी बस्तर सुंदरराज पी. ने कहा है कि, “माओवादियों के सामने आत्मसमर्पण के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। यदि वे मुख्यधारा में लौटते हैं तो सरकार उन्हें पुनर्वास नीति का पूरा लाभ देगी। यदि नहीं लौटे, तो उनका भी वही हश्र होगा जो बसव राजू का हुआ।”

शीर्ष माओवादियों की सूची (इनामी राशि सहित):

1 करोड़ रुपये के इनामी:

  • मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति: पूर्व माओवादी प्रमुख, अब केंद्रीय सलाहकार।
  • मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति: केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो सचिव।
  • थिप्परी तिरुपति उर्फ देवजी: सेंट्रल मिलिट्री कमेटी प्रभारी।
  • मिशिर बेसरा उर्फ भास्कर: ईस्टर्न रिजनल ब्यूरो प्रभारी।

40 लाख रुपये के इनामी:

  • कादरी सत्यनारायण रेड्डी उर्फ कोसा: डीकेएसजेडसी सचिवालय प्रभारी।
  • पुल्लरी प्रसाद राव उर्फ चंद्रन्ना: तेलंगाना स्टेट कमेटी सचिव।
  • मोडेम बालाकृष्णा उर्फ बालन्ना: ओडिशा स्टेट कमेटी प्रभारी।
  • गणेश उईके उर्फ चमरू दादा: ओडिशा स्टेट कमेटी सचिव।
  • अनल दा उर्फ तूफान दा: बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी सचिव।
  • गजराला रवि उर्फ उदय: आंध्र-ओडिशा बॉर्डर स्पेशल जोन कमेटी सचिव।
  • सब्यसाची गोस्वामी उर्फ अजय दा: पश्चिम बंगाल एरिया स्पेशल कमेटी सचिव।
  • कट्टा रामचंद्र रेड्डी उर्फ गुड़सा उसेंडी: डीकेएसजेडसी सचिव और प्रवक्ता।
  • सुजाता उर्फ कल्पना: डीएकेएमएस दक्षिण ब्यूरो सचिव।
  • नरसिम्हा चालम उर्फ सुधाकर: केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो प्रभारी।
  • माड़वी हिड़मा उर्फ हिडमन्ना: दक्षिण सबजोनल ब्यूरो प्रभारी, छत्तीसगढ़।

बस्तर में माओवादियों के खिलाफ चलाया जा रहा अभियान अब निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है। सरकार और सुरक्षा बलों का स्पष्ट संदेश है— आत्मसमर्पण करो या मारे जाओ। जैसे-जैसे बड़े माओवादी कमांडरों का खात्मा हो रहा है, संगठन की जड़ें हिलती जा रही हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बाकी बचे शीर्ष माओवादी क्या आत्मसमर्पण का रास्ता अपनाते हैं या अंतिम लड़ाई के लिए तैयार रहते हैं।

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