Chhattisgarh DMF and Coal Scam: कोल लेवी और DMF घोटाले के आरोपी आज होंगे रिहा, छत्तीसगढ़ छोड़ना होगा, देनी होगी दूसरे राज्य के पते की जानकारी
Chhattisgarh DMF and Coal Scam: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल लेवी और डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड (DMF) घोटाले से जुड़े तीन प्रमुख...
Chhattisgarh DMF and Coal Scam: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोल लेवी और डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड (DMF) घोटाले से जुड़े तीन प्रमुख ब्यूरोक्रेट्स आईएएस समीर बिश्नोई, राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया, और आईएएस रानू साहू आज जेल से बाहर आ रहे हैं। तीनों अधिकारी लंबे समय से इन मामलों में जेल में बंद थे।
- आईएएस समीर बिश्नोई: 2 साल, 7 महीना, 18 दिन बाद रिहा हो रहे हैं।
- सौम्या चौरसिया: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव रहीं, 2 साल, 5 महीना, 29 दिन बाद जेल से बाहर आ रही हैं।
- आईएएस रानू साहू: 1 साल, 10 महीना, 9 दिन बाद जेल से बाहर आ रही हैं।
अपनी गिरफ्तारी के बाद से ये तीनों अधिकारी प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की रिमांड में भी रहे हैं। गिरफ्तारी के तुरंत बाद राज्य सरकार ने इन्हें निलंबित कर दिया था।
रिहाई के बाद कानूनी प्रावधानों का करना होगा पालन
जानकारों के अनुसार, जेल से रिहा होने के बाद तीनों अफसरों को कुछ सख्त कानूनी प्रावधानों का पालन करना होगा। चूंकि तीनों निलंबित थे, इसलिए इन्हें अटैच नहीं किया गया था। अब रिहाई के बाद इन्हें सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) को रिपोर्ट करना होगा और आवश्यक विभागीय प्रक्रियाओं को पूरा करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित प्रमुख शर्तें:
- पासपोर्ट जमा करना: तीनों को रिहा होने के तुरंत बाद अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करना होगा।
- राज्य छोड़ना: एक हफ्ते के भीतर उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य छोड़ना होगा।
- नए पते की जानकारी: छत्तीसगढ़ छोड़ने के बाद, उन्हें अपने नए निवास स्थान (छत्तीसगढ़ के बाहर) की जानकारी ट्रायल कोर्ट, संबंधित थाने और GAD को देनी होगी।
- निर्धारित पते पर रहना: यह सबसे महत्वपूर्ण शर्त है कि उन्हें बताए गए पते पर हर हाल में रहना होगा। यदि किन्हीं कारणों से पता बदला जाता है, तो उसकी सूचना तुरंत संबंधित कोर्ट को देनी होगी। बिना सूचना के दूसरी जगह जाने या रहने पर जमानत खारिज होने की संभावना बनी रहेगी।
- जांच में सहयोग: जब भी जांच एजेंसियों को उनकी जरूरत पड़ेगी, उन्हें हाजिर होना होगा।
ये शर्तें समीर बिश्नोई, रानू साहू, सौम्या चौरसिया और सूर्यकांत तिवारी (जो अभी रिहा नहीं हो रहे हैं) जैसे चार आरोपियों के लिए लागू की गई थीं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने जमानत देते समय यह आशंका जताई थी कि इन आरोपियों के जेल से रिहा होने के बाद गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है, जिसके चलते ये शर्तें लगाई गईं।
ED और EOW के अलग-अलग मामले
गौरतलब है कि इन तीनों के खिलाफ ED ने केवल कोल लेवी केस में ही केस दर्ज किया है। वहीं, राज्य में सरकार बदलने के बाद जनवरी 2024 में EOW ने ED की रिपोर्ट के आधार पर कोल लेवी केस के साथ-साथ DMF घोटाले में भी FIR दर्ज की, जिससे इन अफसरों की मुश्किलें और बढ़ गईं।
फिलहाल, तीनों अफसर कोल लेवी केस में जमानत पर हैं। हालांकि, DMF केस में सौम्या चौरसिया और रानू साहू को अंतरिम जमानत मिली है। इस केस में अगली सुनवाई 6 जून को होनी है, जिसमें दोनों महिला अफसरों की जमानत पर आगे का फैसला लिया जाएगा।



