50 साल बाद भी कायम है इमरजेंसी की काली छाया: बीजेपी ने मनाया संविधान हत्या दिवस, उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस पर साधा निशाना

रायपुर। 1975 की इमरजेंसी को आज 50 साल पूरे हो गए। आधी सदी बीत जाने के बाद भी भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के इस सबसे विवादित और काले अध्याय की चर्चा आज भी उतनी ही तीव्रता से हो रही है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने इमरजेंसी की 50वीं बरसी पर कांग्रेस और उसके नेतृत्व पर तीखा हमला बोला। राजधानी रायपुर स्थित एकात्म परिसर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ करार दिया।
“1975 की आपातकाल लोकतंत्र की निर्मम हत्या थी” – अरुण साव
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने साफ कहा कि अब तक भारत में तीन बार आपातकाल लागू किया गया—1962, 1971 और 1975 में। लेकिन 1975 में लगाया गया आपातकाल व्यक्तिगत और राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित था, जिसका मकसद इंदिरा गांधी की कुर्सी बचाना था, न कि राष्ट्र की रक्षा। उन्होंने इसे भारतीय राजनीति और लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय करार दिया।
उनका कहना था कि 1971 में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला था, लेकिन शासन व्यवस्था चरमराई हुई थी। चारों ओर आंदोलन भड़क रहे थे और सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ती जा रही थी। उसी दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनावी भ्रष्टाचार का दोषी मानते हुए उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी। इसके बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के निर्णय को सही ठहराया, तो इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को आपातकाल की घोषणा कर दी।
गिरफ्तार हुए पत्रकार और नेताओं की याद दिलाई
अरुण साव ने आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों का जिक्र करते हुए कहा कि:
- 253 पत्रकारों को जेल में डाला गया।
- 1 लाख से अधिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों को हिरासत में लिया गया।
- उन्होंने कहा कि यहां तक कि राजनाथ सिंह जैसे नेताओं को अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत नहीं दी गई थी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आजाद भारत में नागरिकों की आजादी का ऐसा दमन कभी नहीं हुआ था। यह सिर्फ सत्ता बचाने के लिए किया गया कदम था, जिसने पूरे देश को अंधेरे में धकेल दिया।
“कांग्रेस की मानसिकता अब भी वैसी ही है”
अरुण साव ने कांग्रेस पार्टी पर वर्तमान राजनीति को लेकर भी हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का चरित्र आज भी नहीं बदला है।
“आज जब कांग्रेस के शीर्ष नेता विदेश जाते हैं, तो वहां भारत को बदनाम करते हैं। यह वही मानसिकता है, जो 1975 में थी—देश को संकट में डालकर सत्ता की कुर्सी पकड़ कर रखने की।”
उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार आने के बाद ही स्वतंत्रता सेनानियों को दोबारा सम्मान देना शुरू किया गया, जबकि कांग्रेस ने इस योजना को बंद कर दिया था।
बीजेपी क्यों मना रही ‘संविधान हत्या दिवस’?
भारतीय जनता पार्टी इमरजेंसी को हर साल याद करती है, लेकिन इस बार यह 50वीं बरसी थी, इसलिए इसे विशेष रूप से ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाया गया।
भाजपा का तर्क है कि इमरजेंसी के जरिए न सिर्फ संविधान के मूल्यों को रौंदा गया, बल्कि देश की आत्मा और नागरिकों की स्वतंत्रता को भी कुचला गया।



