छत्तीसगढ़

Naxalite Surrender: बीजापुर में नक्सल मोर्चे पर बड़ी सफलता, 13 इनामी माओवादी मुख्यधारा में लौटे, सीएम साय बोले- विकास की राह ही भविष्य का रास्ता

Naxalite Surrender: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है। लंबे समय से इलाके में सक्रिय 13 कुख्यात हार्डको

रायपुर। Naxalite Surrender: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है। लंबे समय से इलाके में सक्रिय 13 कुख्यात हार्डकोर माओवादियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है। इन सभी नक्सलियों पर कुल मिलाकर 23 लाख रुपये से अधिक का इनाम घोषित था। इनमें से 10 नक्सली ऐसे हैं जिनके ऊपर 1 लाख से लेकर 8 लाख रुपये तक का इनाम था।

आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति ने दिखाई प्रभावशीलता

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अहम घटनाक्रम को राज्य सरकार की “आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति – 2025” और “नियद नेल्ला नार योजना” की सफलता बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने संदेश में लिखा कि इस नीति के माध्यम से राज्य सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भरोसे का माहौल बना रही है और विकास की सकारात्मक लहर को आगे बढ़ा रही है।

सीएम साय ने कहा, “अब माओवादी भी यह समझने लगे हैं कि बंदूक की राह किसी समाधान की ओर नहीं जाती, बल्कि केवल विकास की राह ही उन्हें एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन की ओर ले जा सकती है।”

राज्य सरकार देगी हर संभव सहयोग

मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को सरकार की ओर से पुनर्वास, कौशल विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में हरसंभव मदद दी जाएगी। सरकार का उद्देश्य है कि ये सभी पूर्व माओवादी समाज की मुख्यधारा में लौटकर एक सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन जी सकें।

नक्सलवाद उन्मूलन को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता

मुख्यमंत्री साय ने यह भी दोहराया कि केंद्र सरकार के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी गई है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में 2026 तक पूरे देश को नक्सलवाद से मुक्त करने का संकल्प लिया गया है, और हमारी सरकार इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”

नक्सल प्रभावित इलाकों में बदलाव की लहर

बीजापुर जैसे संवेदनशील इलाके में बड़ी संख्या में इनामी माओवादियों का आत्मसमर्पण न केवल सुरक्षा बलों के समर्पण और रणनीति की जीत है, बल्कि यह दिखाता है कि राज्य सरकार की विकास और संवाद की नीति अब रंग लाने लगी है। ‘नियद नेल्ला नार’ जैसे योजनाओं के तहत आदिवासी और पिछड़े इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।


इन 13 नक्सलियों का आत्मसमर्पण सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि यह उस व्यापक बदलाव का संकेत है, जिसकी ओर छत्तीसगढ़ धीरे-धीरे बढ़ रहा है। यह घटना बताती है कि जब सरकार विकास और विश्वास की नीति के साथ आगे बढ़ती है, तो बंदूकें खुद-ब-खुद नीचे रख दी जाती हैं।

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