RUSSIA TALIBAN OFFICIAL RECOGNITION | रूस ने तोड़ी अंतरराष्ट्रीय चुप्पी, तालिबान सरकार को दी आधिकारिक मान्यता
अफगानिस्तान के दूतावास पर फहराया तालिबान का झंडा, भारत, अमेरिका और यूरोप अब भी मानते हैं आतंकी संगठन

रायपुर/मॉस्को, 4 जुलाई। रूस दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने आधिकारिक तौर पर अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता दे दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मॉस्को स्थित अफगान दूतावास पर अब तालिबान का झंडा लहरा रहा है, जिससे यह साफ संकेत मिलते हैं कि रूस ने तालिबान को एक वैध सरकार के रूप में स्वीकार कर लिया है।
गौरतलब है कि अगस्त 2021 में अमेरिका की वापसी के बाद तालिबान ने दोबारा अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था। तब से लेकर अब तक अधिकांश देशों ने तालिबान के शासन को मान्यता नहीं दी, बल्कि सतर्क दूरी बनाए रखी। ऐसे में रूस का यह फैसला अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़ा बदलाव लाने वाला है।
रूस ने क्यों दी मान्यता?
रूस की इस रणनीतिक पहल के पीछे कई कारण हैं। सबसे अहम यह है कि रूस चाहता है तालिबान अफगान जमीन का उपयोग अन्य आतंकी संगठनों जैसे ISIS-K और अल-कायदा को न करने दे। इसके साथ ही रूस को मध्य एशिया में स्थिरता और अफगानिस्तान के खनिज संसाधनों व व्यापारिक मार्गों में भी खास रुचि है।
कौन-कौन से देश अब भी मानते हैं तालिबान को आतंकी संगठन?
जहां एक ओर रूस ने तालिबान को मान्यता दे दी है, वहीं दूसरी ओर भारत अब भी तालिबान को मान्यता देने से बच रहा है और उसे सतर्क निगाहों से देखता है। अमेरिका ने भी तालिबान को आतंकी संगठन की श्रेणी में बनाए रखा है और कई प्रतिबंध लगाए हैं। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ के कई देशों ने भी तालिबान को मान्यता नहीं दी है, महिला अधिकारों और लोकतंत्र के हनन को इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है।
रूस का यह कदम जहां अफगानिस्तान में स्थिरता की उम्मीद जगाता है, वहीं यह पश्चिमी देशों की नीतियों के खिलाफ एक स्पष्ट संकेत भी है। अब देखना यह होगा कि क्या अन्य देश भी रूस के नक्शे कदम पर चलते हैं या तालिबान को आतंकी मानने की अपनी नीति पर कायम रहते हैं।