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SURYA GRAHAN 2025 | 21 सितंबर को अनोखा संयोग, ग्रहण भी, श्राद्ध भी – क्या होगा असर?

 

नई दिल्ली, 15 सितंबर। इस साल 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण और सर्वपितृ अमावस्या एक साथ पड़ रहे हैं। सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज का विशेष महत्व होता है। वहीं, ग्रहण के समय आमतौर पर धार्मिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। इस कारण लोगों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ग्रहण के चलते श्राद्धकर्म प्रभावित होंगे।

भारत में ग्रहण का प्रभाव नहीं

खगोल विज्ञानियों के अनुसार, सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात 10:59 बजे से शुरू होकर 3:23 बजे (22 सितंबर) तक रहेगा। लेकिन यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए भारत में इसका सूतक काल लागू नहीं होगा। इसका मतलब है कि इस दिन श्राद्ध व तर्पण बिना किसी रोक-टोक के किए जा सकेंगे।

मंदिरों के कपाट खुले रहेंगे।

पितरों का विधिवत श्राद्ध, पिंडदान और ब्राह्मण भोज सामान्य रूप से किया जा सकेगा।

कहां दिखाई देगा ग्रहण?

यह सूर्य ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, अफ्रीका, हिंद महासागर, दक्षिण प्रशांत, अटलांटिक और दक्षिणी महासागर के कई हिस्सों में दिखेगा। इसके अलावा न्यूजीलैंड (ऑकलैंड, क्राइस्टचर्च, वेलिंगटन) और नॉरफॉक द्वीप से भी इसे देखा जा सकेगा।

ग्रहण के समय बरतें सावधानियां

नकारात्मक ऊर्जा से बचाव: वैदिक मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।

भोजन से परहेज: भोजन-पानी का त्याग तभी मान्य जब ग्रहण भारत में दिखाई दे।

गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानी: उन्हें ग्रहण की अवधि में घर के भीतर रहने की सलाह दी जाती है।

धार्मिक कार्य: ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान, स्वच्छ वस्त्र धारण और दान-पुण्य करना श्रेष्ठ माना जाता है।

यानी इस बार सूर्य ग्रहण के बावजूद सर्वपितृ अमावस्या के सभी धार्मिक अनुष्ठान बिना किसी बाधा के पूरे किए जा सकेंगे।

 

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