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CG RAID UPDATE | भूपेश के PA और मंत्री के करीबी पर शिकंजा, करोड़ों की काली कमाई बेनकाब

 

रायपुर, 22 सितंबर 2025। छत्तीसगढ़ का चर्चित शराब और अवैध कोयला लेवी घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। रविवार को राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार में एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की। कार्रवाई में महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और नगदी जब्त किए गए।

जयचंद कोसले और शराब कारोबारी अवधेश यादव के ठिकानों पर दबिश

शराब घोटाले में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पीए जयचंद कोसले और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के करीबी शराब कारोबारी अवधेश यादव के ठिकानों पर रेड की गई। EOW ने छत्तीसगढ़ के 3, झारखंड के 2 और बिहार के 2 यानी कुल 7 ठिकानों पर दबिश दी।

कौन है शराब कारोबारी अवधेश यादव?

रायपुर के शिव विहार कॉलोनी निवासी अवधेश यादव बस्तर के 7 जिलों में शराब नेटवर्क चलाता था। शराब दुकानों के लिए सरकार से मिला ठेका उसके हाथ में था। आरोप है कि वह ओवररेट शराब, पड़ोसी राज्यों से तस्करी, और यहां तक कि मिलावट कर सप्लाई करता था।

जांच में सामने आया कि उसने करीब 200 करोड़ का कमीशन कमाया और इसे झारखंड (पलामू) और बिहार (औरंगाबाद) में निवेश किया। बस्तर संभाग में आबकारी विभाग की ट्रांसफर-पोस्टिंग तक पर उसका दबदबा था।

जयचंद कोसले पर भी गंभीर आरोप

जयचंद कोसले, पूर्व आईएएस सौम्या चौरसिया का करीबी माना जाता है। आरोप है कि अवैध कोयला परिवहन से मिलने वाला पैसा उसके जरिए सौम्या तक पहुंचता था। EOW को शक है कि जयचंद ने सौम्या के करीब 50 करोड़ रुपए निवेश किए।

खुद भी उसने 10 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति बनाई और रायपुर व अकलतरा में आलीशान मकान खड़े किए, जयचंद से ईडी कई बार पूछताछ कर चुकी है।

3 दिन पहले रिटायर्ड IAS गिरफ्तार

इसी केस में EOW ने रिटायर्ड IAS निरंजन दास को गिरफ्तार किया। आरोप है कि कांग्रेस सरकार के समय आबकारी आयुक्त रहते हुए उन्होंने शराब सिंडिकेट चलाने में अहम भूमिका निभाई। उन्हें हर महीने 50 लाख रुपए की कमाई होती थी।

शराब घोटाले की पूरी कहानी

फरवरी 2019 में अनवर ढेबर ने डिस्टलरी मालिकों के साथ मिलकर सिंडिकेट बनाया। तय हुआ कि प्रति पेटी शराब पर कमीशन वसूला जाएगा। सरकारी रिकॉर्ड में खपत दर्ज न कराकर डुप्लीकेट होलोग्राम वाली शराब बेची जाने लगी। जांच में सामने आया कि 3 साल में 60 लाख से ज्यादा पेटियां अवैध रूप से बिकीं। घोटाले की राशि 2,000 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई।

कोयला घोटाले में भी बड़े चेहरे फंसे

ED का आरोप है कि ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन कराकर कोयले से 570 करोड़ रुपए से ज्यादा की वसूली की गई। इस मामले में 2 पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 36 लोगों पर FIR दर्ज है। आरोपियों में बड़े अफसर और कारोबारी भी शामिल हैं।

EOW की हालिया कार्रवाई ने साबित कर दिया कि छत्तीसगढ़ में शराब और कोयला घोटाला महज आरोप नहीं बल्कि एक संगठित भ्रष्टाचार का नेटवर्क था। छापों से मिले दस्तावेज और जब्ती आगे की जांच में कई बड़े खुलासे कर सकते हैं।

 

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