GOLD RIVER CG | छत्तीसगढ़ की “सोने वाली नदी” का चमत्कार …

रायपुर, 28 सितंबर 2025। छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा पर बहने वाली ईब नदी को उसकी अद्भुत खासियत के लिए ‘सोने की नदी’ भी कहा जाता है। इस नदी के पानी में बहते हुए सूक्ष्म स्वर्ण कण पाए जाते हैं, जिन्हें स्थानीय आदिवासी पारंपरिक तरीके से निकालते हैं।
ईब नदी का उद्गम और मार्ग
ईब नदी का उद्गम जशपुर जिले के रानीझूला में पंड्रापाट की खुरजा पहाड़ियों से होता है। 762 मीटर ऊँचाई से निकलकर यह नदी जशपुर, सरगुजा और रायगढ़ जिलों से बहती हुई ओडिशा के संबलपुर और झारसुगुड़ा में प्रवेश करती है। अंततः हीराकुड बाँध के पास यह महानदी में मिल जाती है। नदी की कुल लंबाई लगभग 202 किलोमीटर है, जिसमें से छत्तीसगढ़ में 87 किलोमीटर बहती है।
आर्थिक और ऊर्जा योगदान
ईब नदी की जल धारा न केवल स्थानीय सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि हीराकुड बाँध के माध्यम से 627 मेगावाट बिजली भी उत्पादन करती है। नदी की घाटी में स्थित कोयला क्षेत्र इसे छत्तीसगढ़ और ओडिशा की अर्थव्यवस्था में केंद्रीय स्थान प्रदान करता है।
सोने के कण और आदिवासी परंपरा
ईब नदी के मार्ग में जशपुर और रायगढ़ क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधन, जैसे कोयला और सोना, नदी में बहते मिट्टी और चट्टानों के साथ मिल जाते हैं। हालांकि नग्न आंखों से ये कण देखना मुश्किल है, परंतु आदिवासी समुदाय सोनझरिया पारंपरिक विधियों से इन कणों को अलग कर लेते हैं। यह प्रक्रिया विशेष रूप से मानसून के समय सक्रिय रहती है, जब नदी अपने पूर्ण प्रवाह के साथ बहती है।
ईब नदी न केवल जल और ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि आदिवासियों के जीवन और परंपराओं का भी अभिन्न हिस्सा है, जो नदी से प्राप्त प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहते हैं।



