CG BREAKING | हाईकोर्ट ने बिना मान्यता स्कूलों पर सवाल उठाए, नई नीति के लिए सरकार को दी चेतावनी
बिलासपुर, 18 अक्टूबर 2025। बिलासपुर हाईकोर्ट में प्री-प्राइमरी और नर्सरी स्कूलों की मान्यता से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से पूछा कि जनवरी 2013 के सर्कुलर को क्यों वापस लिया गया, जो बिना मान्यता के स्कूलों पर कार्रवाई का आधार था। शिक्षा सचिव के शपथ पत्र में ठोस कारण नहीं होने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और नया शपथ पत्र देने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी।
मामले की पृष्ठभूमि –
रायपुर निवासी कांग्रेस नेता विकास तिवारी ने जनहित याचिका दायर की थी।
याचिका में बताया गया कि नर्सरी स्कूलों में एक रजिस्ट्रेशन करवा कर मिलते-जुलते नाम से अलग-अलग स्कूल खोलकर मोटी रकम वसूली जा रही है।
प्रदेश में बिना मान्यता के 330 से अधिक स्कूल संचालित हो रहे हैं, जो छात्रों और अभिभावकों के लिए संकट बन गए हैं।
सरकार का तर्क –
शिक्षा विभाग ने बताया कि 23 सितंबर 2025 को 2013 वाला सर्कुलर रद्द कर दिया गया क्योंकि यह आरटीई एक्ट 2009 के अनुरूप नहीं था।
पुराने सर्कुलर में बिना पंजीकरण चल रहे स्कूलों पर स्पष्ट दंडात्मक प्रावधान नहीं थे।
बच्चों की सुरक्षा, गुणवत्ता और निगरानी के लिए सात सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप नियामक दिशा निर्देश का मसौदा तैयार कर रही है।
हाईकोर्ट का निर्देश –
अगर सर्कुलर वापस लेने से छात्रों की पढ़ाई या भविष्य पर विपरीत असर पड़ता है, तो सरकार जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करे।
राज्य सरकार को नए नियम बनाकर कोर्ट को जल्द सूचना देने का आदेश दिया गया।
मामले का महत्व –
बिना मान्यता के चल रहे स्कूलों के हजारों छात्रों के भविष्य और क्लास-1 में एडमिशन के वैध सर्टिफिकेट की समस्या के चलते यह मामला गंभीर चिंता का विषय बन गया है।



