TRUMP HATE CRIME | ट्रम्प की वापसी के बाद भड़की नफरत, भारतीयों पर हमले दोगुने!

वॉशिंगटन। अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही भारतवंशियों और दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के खिलाफ नफरत भरे अपराधों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अक्टूबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच भारतीय मूल के लोगों के खिलाफ हेट क्राइम के मामलों में 91% की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ ही मंदिरों पर हमले और ऑनलाइन ट्रोलिंग के मामले भी तेजी से बढ़े हैं।
थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ऑर्गनाइज्ड हेट’ की रिपोर्ट बताती है कि बाइडेन शासनकाल में जहां अक्टूबर 2024 तक केवल 46,000 ट्रोलिंग और 884 धमकी के मामले दर्ज हुए थे, वहीं ट्रम्प के सत्ता में लौटते ही यह संख्या 88,000 तक पहुंच गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि दिसंबर में ट्रम्प-मस्क-रामास्वामी की वीजा बहस के बाद ‘नौकरियां छीनने’ जैसे नारों में 76% उछाल आया।
ट्रम्प प्रशासन द्वारा H-1B वीजा फीस बढ़ाने और 104 भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट करने के फैसले ने स्थिति और भड़का दी। इसके बाद टेक्सास, वर्जीनिया और कैलिफोर्निया जैसे राज्यों में गोलीबारी और मंदिरों पर हमले दर्ज किए गए।
हिंसा की घटनाओं की श्रृंखला
नवंबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच भारतीय समुदाय को निशाना बनाते हुए कई हिंसक घटनाएं सामने आईं।
फरवरी 2025: वर्जीनिया में भारतीय-अमेरिकी कारोबारी की गोली मारकर हत्या।
मार्च 2025: किराना स्टोर पर हमले में पिता-पुत्री की मौत।
सितंबर 2025: टेक्सास के डलास में दो छात्रों और श्रमिकों की हत्या।
अक्टूबर 2025: पिट्सबर्ग (पेंसिल्वेनिया) में मोटेल पर गोलीबारी में भारतीय मूल के मालिक और कर्मचारियों को निशाना बनाया गया।
इन घटनाओं के बाद सोशल मीडिया पर ‘भारतीयों को देश से निकालो’ जैसे नारे बढ़े हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यह सिर्फ भारतीयों के खिलाफ नहीं बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई समुदाय को प्रभावित करने वाली व्यापक नस्लभेदी मुहिम बन चुकी है।
श्वेत वर्चस्ववाद फिर सिर उठा रहा
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रम्प की नीतियां और बयानबाजी अमेरिका में श्वेत वर्चस्ववादी समूहों को खुली छूट दे रही हैं। उनकी जीत के बाद हेट क्राइम के मामलों में औसतन 80% की बढ़ोतरी दर्ज की जाती है।
ट्रम्प सरकार के फैसले और दक्षिणपंथी राजनीति का प्रभाव अब अमेरिकी समाज में गहराई तक उतर चुका है — जिससे भारतीय मूल के लोगों के बीच असुरक्षा और भय का माहौल लगातार बढ़ता जा रहा है।



