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SUPREME COURT ORDER | बिना वजह गिरफ्तारी तो नहीं चलेगी – सुप्रीम कोर्ट

 

रायपुर, 7 नवंबर। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (6 नवंबर 2025) को एक अहम फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि पुलिस को किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के समय तुरंत लिखित कारण बताना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह काम जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। अगर पुलिस ऐसा नहीं करती, तो गिरफ्तारी और रिमांड को अवैध माना जाएगा और आरोपी रिहाई का हकदार होगा।

यह आदेश मुंबई के वर्ली हिट एंड रन केस के आरोपी मिहिर राजेश शाह के मामले में दिया गया है। 7 जुलाई 2024 को हुई इस घटना में मिहिर पर एक दंपति के स्कूटर को टक्कर मारने और महिला को कार के साथ लगभग 2 किलोमीटर तक घसीटने का आरोप है, जिसमें महिला की मौत हो गई थी।

कोर्ट ने क्या कहा –

मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने 52 पन्नों का फैसला सुनाते हुए कहा गिरफ्तारी के समय उसका कारण बताना संवैधानिक और कानूनी दायित्व है।

गिरफ्तार व्यक्ति को लिखित रूप में कारण बताया जाए, और उसी भाषा में जिससे वह समझ सके। अगर लिखित कारण देना संभव न हो, तो मौखिक रूप से बताया जाए। किसी भी स्थिति में व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने से कम से कम 2 घंटे पहले लिखित कारण दे दिया जाए। इन नियमों का पालन नहीं होने पर गिरफ्तारी और रिमांड अवैध मानी जाएगी।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया –

अगर इन नियमों के उल्लंघन पर आरोपी को रिहा किया जाता है और जांच एजेंसी उसकी हिरासत चाहती है, तो उसे मजिस्ट्रेट के पास नया आवेदन देना होगा। मजिस्ट्रेट दोनों पक्षों की बात सुनकर एक सप्ताह के भीतर निर्णय देंगे।

 

 

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