CG HIGH COURT JUDGMENT | बार-बार आत्महत्या की धमकी मानसिक क्रूरता – हाईकोर्ट

बिलासपुर, 6 दिसंबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि लगातार आत्महत्या की धमकी देना भी मानसिक क्रूरता माना जाएगा। अदालत ने स्पष्ट कहा कि ऐसा व्यवहार पति या पत्नी में लगातार डर, तनाव और असहनीय परिस्थिति पैदा कर देता है, जिससे वैवाहिक जीवन सामान्य रूप से आगे बढ़ाना मुश्किल हो जाता है।
दुर्घटना के बाद दरगाह ले जाने का विवाद बना वजह
मामला बालोद जिले से संबंधित है। वर्ष 2018 में विवाह के बाद दंपती डोंगरगढ़ मां बमलेश्वरी मंदिर जा रहे थे, तभी रास्ते में अचानक भैंस आ जाने से उनका एक्सीडेंट हो गया। पत्नी ने अपने पिता को सूचना दी, जिसके बाद लड़की का परिवार दोनों को भूत-प्रेत साया हटाने के नाम पर बार-बार दरगाह ले जाने लगा।
लगभग छह से सात महीने तक यह सिलसिला चलता रहा। इस बीच व्यापारी पति का कारोबार लगातार घाटे में जाने लगा, इसलिए उसने दरगाह जाना बंद कर दिया। बस यही बात वैवाहिक तनाव की बड़ी वजह बन गई।
इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव और आत्महत्या की धमकियाँ
पति के मना करने पर पत्नी ने पति पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। जब पति ने इनकार किया, तो उसने आत्महत्या की धमकियां देना शुरू कर दीं। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी का यह व्यवहार इतना गंभीर था कि पति लगातार मानसिक दबाव और भय में जी रहा था।
2020 से अलग रह रही पत्नी, तलाक उचित: कोर्ट
अदालत ने कहा कि पत्नी 2020 से अलग रह रही है और उसके व्यवहार ने पति के लिए वैवाहिक जीवन असहनीय बना दिया। ऐसे में पति द्वारा तलाक की मांग उचित और कानूनी रूप से स्वीकार्य है।
हाईकोर्ट के इस निर्णय को वैवाहिक विवादों में मानसिक क्रूरता की परिभाषा को और स्पष्ट करने वाला महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है।



