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CG WINTER SESSION | 14 दिसंबर को फिर दोहराएगा इतिहास

 

रायपुर 9 दिसंबर 2025। छत्तीसगढ़ इस वर्ष अपने संसदीय इतिहास का अनोखा अध्याय जोड़ने जा रहा है। विधानसभा का चार दिवसीय शीतकालीन सत्र 14 से 17 दिसंबर तक आयोजित होगा, और खास बात यह है कि इसकी शुरुआत रविवार के दिन होगी। राज्य गठन के 25 वर्षों में यह पहला अवसर होगा जब विधानसभा का कोई सत्र रविवार को आयोजित किया जाएगा।

सरकार ने सत्र की तारीख केवल औपचारिकता के तौर पर नहीं चुनी है, बल्कि इसके पीछे एक ऐतिहासिक कारण है। राज्य गठन के बाद पहली विधानसभा बैठक भी 14 दिसंबर 2000 को ही आयोजित की गई थी, वह भी रायपुर स्थित राजकुमार कॉलेज मैदान में लगे अस्थायी टेंट में। उस ऐतिहासिक क्षण को याद करने और सम्मान देने के उद्देश्य से इस बार भी सत्र की शुरुआत उसी तारीख को की जा रही है।

इस बार का शीतकालीन सत्र नवा रायपुर के आधुनिक और भव्य विधानसभा भवन में आयोजित होगा, जो छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा का प्रतीक माना जा रहा है। जिस तारीख को राज्य का पहला सत्र टेंट में लगा था, आज उसी दिन अत्याधुनिक भवन में विधायी कार्य होंगे यह अपने आप में एक प्रतीकात्मक बदलाव है।

सत्र के पहले दिन प्रश्नकाल नहीं रखा गया है। इसकी जगह सरकार अपनी दीर्घकालिक विकास योजना ‘छत्तीसगढ़ विजन 2047’ पर विशेष चर्चा करेगी। इस चर्चा में अगले 25 वर्षों के विकास रोडमैप, आधारभूत संरचना, शिक्षा, कृषि और उद्योग नीति, तथा शासन व्यवस्था में सुधार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विमर्श होगा।

विधायकों ने इस सत्र के लिए कुल 628 प्रश्न लगाए हैं, जिनमें 333 तारांकित और 295 अतारांकित प्रश्न शामिल हैं। ये सवाल कानून-व्यवस्था, धान खरीदी, सड़क निर्माण की स्थिति और जनकल्याण योजनाओं जैसे मुद्दों से जुड़े हैं। सत्र के दूसरे दिन यानी 15 दिसंबर को अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा।

विधानसभा में कई महत्वपूर्ण विधेयक भी पेश किए जाएंगे, जिनमें निजी विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, छत्तीसगढ़ भंडार क्रय नियम 2002 में संशोधन और दुकान पंजीयन प्रक्रिया को श्रम विभाग के अधीन करने का प्रस्ताव शामिल है। नए भवन में 9 दिसंबर से सदस्यों के ध्यानाकर्षण और स्थगन प्रस्ताव भी स्वीकार किए जा रहे हैं। प्रत्येक सदस्य प्रतिदिन अधिकतम दो ध्यानाकर्षण और एक स्थगन प्रस्ताव दे सकेगा।

राज्य की विधायी यात्रा एक साधारण टेंट से शुरू होकर आज अत्याधुनिक भवन तक पहुंच चुकी है। इसी ऐतिहासिक विरासत को सहेजते हुए 14 दिसंबर का यह सत्र छत्तीसगढ़ विधानसभा के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण दिन दर्ज करेगा।

 

 

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