CG HIGH COURT | ग्रुप-D भर्ती पर हाई कोर्ट की सख्ती, 100 से ज्यादा अभ्यर्थियों को मिली राहत

रायपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की ग्रुप-डी भर्ती से जुड़े 13 साल पुराने मामले में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 100 से अधिक अभ्यर्थियों को राहत दे दी है। जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डबल बेंच ने रेलवे की सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। इसके साथ ही रिप्लेसमेंट कोटा के तहत योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
2010 की भर्ती अधिसूचना से शुरू हुआ था विवाद
रेलवे भर्ती बोर्ड, बिलासपुर ने 15 दिसंबर 2010 को ग्रुप-डी पदों के लिए अधिसूचना जारी की थी। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद नियुक्ति न मिलने पर उम्मीदवारों ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) में याचिका दायर की थी।
CAT ने योग्य उम्मीदवारों पर विचार का दिया था आदेश
CAT ने 6 मार्च 2024 को निर्देश दिया था कि रेलवे 17 जून 2008 की अधिसूचना के तहत रिप्लेसमेंट कोटा में उपलब्ध रिक्तियों की जांच करे। रिक्त पद पाए जाने पर योग्य अभ्यर्थियों को नियुक्ति देने और आदेश जारी करने पर विचार किया जाए। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और अन्य वकीलों ने पैरवी की।
रेलवे ने कहा
CAT के आदेश को चुनौती देते हुए रेलवे हाई कोर्ट पहुंचा। रेलवे का तर्क था कि चयन पैनल में शामिल होना किसी उम्मीदवार को “वेस्टेड राइट” यानी स्वतः नियुक्ति का अधिकार नहीं देता।
हाई कोर्ट का सख्त संदेश
हाई कोर्ट ने रेलवे की दलील खारिज करते हुए कहा कि चयन पैनल में शामिल उम्मीदवार को भले ही सीधे नियुक्ति का अधिकार न हो, लेकिन वह “उचित और निष्पक्ष विचार” का पूरा हकदार है।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि नियुक्ति प्राधिकारी मनमाने तरीके से पैनल को नजरअंदाज नहीं कर सकता। यदि पद रिक्त हैं और उम्मीदवार मेरिट में है, तो नियुक्ति रोकने के लिए ठोस और वैध कारण होना चाहिए।
अब उम्मीदवारों की नियुक्ति की राह साफ
इस फैसले के बाद रिप्लेसमेंट कोटा के रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है। लंबे समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे अभ्यर्थियों के लिए यह फैसला बड़ी राहत साबित होगा।



