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MANREGA NEW SCHEME | मनरेगा खत्म, नई ग्रामीण रोजगार योजना लाने की तैयारी

 

नई दिल्ली। ग्रामीण भारत को रोजगार देने वाली सबसे बड़ी योजना मनरेगा अब इतिहास बनने की ओर है। केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) को समाप्त कर उसकी जगह एक नई योजना लागू करने की तैयारी में जुट गई है। इससे साफ है कि अब इस रोजगार योजना के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम नहीं जुड़ा रहेगा।

सरकार ने नए प्रस्तावित कानून का नाम ‘विकसित भारत–रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)’ रखा है, जिसे संक्षेप में VB-G RAM G कहा जा रहा है। इस विधेयक को संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश करने की तैयारी है। सोमवार को लोकसभा सांसदों के बीच इस बिल की प्रतियां भी बांटी गईं।

नए कानून का मकसद ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य के अनुरूप ग्रामीण विकास का मजबूत ढांचा खड़ा करना बताया गया है। इसके तहत ग्रामीण परिवारों को अब हर साल 100 की जगह 125 दिनों के गारंटीड मजदूरी रोजगार देने का प्रावधान किया गया है, बशर्ते परिवार के वयस्क सदस्य अकुशल श्रम के लिए तैयार हों।

सरकार का कहना है कि पिछले 20 सालों में मनरेगा ने ग्रामीण इलाकों को रोजगार सुरक्षा दी, लेकिन अब गांवों में आए सामाजिक और आर्थिक बदलावों को देखते हुए योजना को और आधुनिक व प्रभावी बनाने की जरूरत है।

हालांकि इस फैसले को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस ने नाम बदलने और मनरेगा को खत्म करने के कदम का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल उठाया है कि महात्मा गांधी जैसे विश्वविख्यात नेता का नाम योजना से क्यों हटाया जा रहा है।

गौरतलब है कि मनरेगा की शुरुआत 2005 में यूपीए सरकार के दौरान हुई थी और 2009 में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी के नाम पर रखा गया था। यह योजना ग्रामीण गरीबों के लिए एक सुरक्षा कवच मानी जाती रही है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘कांग्रेस की विफलताओं का स्मारक’ कहा था, लेकिन इसके बावजूद योजना जारी रही और कोविड काल में यह ग्रामीण मजदूरों के लिए संजीवनी साबित हुई।

अब 10 साल बाद मनरेगा को खत्म कर नई योजना लाने को सरकार की रीब्रांडिंग रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, जिस पर सियासी बहस तेज हो गई है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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