CJI गोगोई ने जजों की छुट्टी पर लगाया बैन, लंबित मामलो को निपटने के आदेश दिए
सुप्रीम कोर्ट में करीब 55,000 मुकदमे, देश की 24 हाई कोर्ट में 32.4 लाख मामले और निचली अदालतों में 2.77 करोड़ मामले लंबित हैं।
नई दिल्ली। अदालतों में लंबित मामलों को जल्द निपटाने के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने कड़ा फैसला लिया है। उन्होंने कार्यदिवस के दौरान जजों के छुट्टी लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है। न्यायपालिका की त्रिस्तरीय व्यवस्था में करोड़ों मामले लंबित पड़े हुए हैं। 3 अक्टूबर को देश के चीफ जस्टिस पद की शपथ लेने के बाद जस्टिस गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट में लंबित करोड़ों मामलों का बोझ हल्का करने के लिए कदम उठाने के संकेत दिए थे।
कार्यकाल शुरू होने के एक हफ्ते के भीतर उन्होंने प्रत्येक हाई कोर्ट के कलीजियम मेंबर्स जिसमें हाई कोर्ट चीफ जस्टिस और दो सबसे सीनियर जज शामिल हैं, उनसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की। उन्होंने लंबित मुकदमों में कमी लाने के लिए कुछ ‘तेज दवाओं’ का परामर्श दिया। बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट में करीब 55,000 मुकदमे, देश की 24 हाई कोर्ट में 32.4 लाख मामले और निचली अदालतों में 2.77 करोड़ मामले लंबित हैं।
सीजेआई गोगोई ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को कड़वी दवा की सलाह दी है। इसके तहत उनसे कहा गया है कि वे अदालती कार्यवाही के दौरान नियमित नहीं होने वाले जजों को न्यायिक कार्य से हटाएं। इसके साथ ही हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को उन जजों के बारे में जानकारी देने को कहा गया है, जो काम के दौरान अनुशासन की अवहेलना कर रहे हैं।
हाई कोर्ट के किसी जज या निचली अदालत के किसी न्यायिक अधिकारी को आपात स्थिति को छोड़कर कार्य दिवस में छुट्टी मंजूर नहीं करने को कहा गया है। इसके साथ ही जस्टिस गोगोई ने वर्किंग डे पर सेमिनार या आधिकारिक कार्यक्रम से दूर रहने को कहा है। बताते चलें कि जस्टिस गोगोई केस फाइलों के प्रति अपने समर्पण के लिए जाने जाते हैं और वह दलीलों के दौरान वकीलों को नई कहानी गढ़ने का मौका देने की बजाए उन पर सीधे तथ्यों की झड़ी लगाते हैं।
सीजेआई ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ जजों से न्यायपालिका में बड़े पैमाने पर खाली पदों को भरने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है। इसके साथ ही निचली अदालतों में केस के तेजी से निपटारे के लिए नियमित मॉनिटरिंग की जरूरत भी बताई। अभी यह निगरानी तिमाही आधार पर होती है। पांच साल या उससे ज्यादा वर्षों से लंबित मामलों की सुनवाई के लिए उन्हें फौरन लिस्ट किया जाए।