बिलासपुर और सरगुजा संभाग में हर तरफ अनुशासित कहलाने वाली भाजपा में बगावत की आग दिखाई दे रही है। मंत्री से लेकर विधायक तक सबके खिलाफ अब खुलकर कार्यकर्ता सामने आने लगे हैं। पार्टी के नेताओं की सीख को दरकिनार रखते हुए पार्टी पर्यवेक्षकों के सामने यह बगावत खुलकर सामने आ गई है। अब भले ही पार्टी अनुशासन का डंडा चलाए पर यह हवा थमती नजर नहीं आ रही है। प्रतापपुर से विधायक और राज्य के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा के खिलाफ पूरे क्षेत्र के लोगों ने खुलकर पर्यवेक्षकों के सामने अपनी बात रखी। कार्यकर्ताओं ने यहां तक कह दिया कि यदि रामसेवक पैकरा चुनाव लड़ते हैं तो ऐतिहासिक पराजय के लिए तैयार रहें ।अब पार्टी का एक खेमा उन्हें भटगांव क्षेत्र से लड़ने का सुझाव दे रहा है लेकिन भटगांव क्षेत्र के लोग कहते हैं कि वह क्या बाहरी लोगों के लिए ही बने हैं। ऐसी ही स्थिति जांजगीर जिले के चंद्रपुर क्षेत्र में है जहां युद्धवीर सिंह का विरोध हो रहा है। पर्यवेक्षकों के सामने क्षेत्र के लोगों ने किसी दूसरे प्रत्याशी की मांग की। यहां पार्टी भी लंबे समय से असहज स्थिति में है। यदि प्रत्याशी नहीं बदला गया तो पार्टी को दिक्कत आ सकती है ।विचार किया जा रहा है कि युद्धवीर सिंह की जगह उनकी पत्नी को टिकट दिया जाए लेकिन यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है। जांजगीर जिले की पामगढ़ सीट से विधायक अंबेश जांगड़े के खिलाफ भी कार्यकर्ताओं ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने तख्ती लेकर विरोध दर्ज कराया है ।ऐसी स्थिति में पार्टी यहां यदि फिर से अंबेश को रिपीट करती है तो मुश्किल हो सकती है। उधर जशपुर जिले में भी तीनों सीटों पर वर्तमान विधायकों के खिलाफ आक्रोश है। यहां भी पार्टी को कार्यकर्ताओं की नाराजगी भारी पड़ सकती है। जशपुर में नंदकुमार साय और पार्टी छोड़ चुके आदिवासी नेता गणेश राम भगत का फिलहाल पार्टी कोई उपयोग नहीं कर रही है। गणेश राम भगत को भाजपा में शामिल किए जाने की चर्चा थी लेकिन अब चुनाव तक इसकी संभावना कम दिख रही है ।ऐसी स्थिति में गणेश राम भगत के समर्थक भी भाजपा के विरोध में ही रहेंगे ।जूदेव परिवार को यदि कहीं से टिकट नहीं मिलती है तो यह परिवार भी इस बार चुनाव में बहुत सक्रिय नजर नहीं आएगा। बिलासपुर जिले में पार्टी में पहली बार दावेदारों की भीड़ दिख रही है। बेलतरा सीट पर तो पार्टी खुद असमंजस में है। यहां वर्तमान विधायक बुजुर्ग नेता बद्री धर दीवान अपने बेटे विजय धर दीवान को टिकट दिलाने पर अड़े हुए हैं, जबकि सर्वे रिपोर्ट और आम कार्यकर्ता उनके खिलाफ है। ऐसे में पार्टी यदि विजय दीवान पर दांव लगाती है तो राह आसान नहीं होगी। पर्यवेक्षकों के सामने वोटिंग करने आए पदाधिकारियों में सुशांत शुक्ला, प्रफुल्ल शर्मा, द्वारिकेश पांडे, नरेंद्र कछवाहा ,रजनीश सिंह ,विक्रम सिंह, सुरेंद्र गुंबर सहित कई दावेदार हैं ।अंत में तो हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन भूपेंद्र सवन्नी और बिलासपुर के महापौर किशोर राय का नाम भी दावेदारों में शामिल कर लिया गया है। श्री राय को इसलिए स्वाभाविक दावेदार बनाया जा रहा है क्योंकि यहां के सात वार्ड बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। कुल मिलाकर एक अनार सौ बीमार जैसी हालत है ।शहर से लगी तखतपुर सीट पर पहले से ही हालत प्रतिकूल है। यहां पिछला चुनाव 600 वोट से जीते विधायक राजू क्षत्री के खिलाफ पहले से माहौल है। थाने में पुलिस अधिकारी की पिटाई जैसे प्रकरणों से सुर्खियों में आए राजू क्षत्री के किस्से हर जुबान पर हैं। यहां पार्टी में बगावत ऊपरी तौर पर तो नहीं दिख रही है लेकिन पर्यवेक्षकों के सामने आधा दर्जन दावेदारों का आना यह साबित करता है कि पार्टी यहां यदि राजू क्षत्री को रिपीट करती है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ स
कती है। बिलासपुर जिले की मरवाही सीट पर वैसे भी भाजपा के पास प्रत्याशी का टोटा है। इससे लगी कोटा सीट पर भी भाजपा को काशी साहू के अलावा कोई कैंडिडेट नहीं दिख रहा है ।शहर से लगी मस्तूरी विधानसभा सीट में पूर्व मंत्री डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी के अलावा चांदनी भारद्वाज और कुछ नए चेहरे पर विचार करना पड़ रहा है। चांदनी पंचायत की नेता व सांसद कमला देवी की बेटी है।ऐसे में अनुशासित कहलाने वाली पार्टी को प्रत्याशी चयन में फूंक फूंक कर चलना पड़ रहा है।थोड़ी सी लापरवाही भाजपा को यहां पराजय की ओर ले जा सकती है।