अब पार्षद चुनेंगे महापौर-भूपेश, तीन मंत्रियों की समिति बनी, अध्यादेश की तैयारी
रायपुर। नगरीय निकायों के महापौर अथवा अध्यक्ष का चुनाव सीधे नहीं होगा। पार्षद ही महापौर अथवा अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से चर्चा में यह बात कही है। सरकार ने इस पर सुझाव देने के लिए तीन सदस्यीय मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया है। समिति 15 तक अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पार्षदों के जरिए महापौर अथवा अध्यक्ष चुने जाने का संकेत दिया है और कहा कि अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली में खराबी क्या है? उन्होंने कहा कि जिला व जनपद में तो सदस्य ही अध्यक्ष चुनते हैं। श्री बघेल ने मीडिया से चर्चा में कहा कि मंत्रिमंडलीय उप समिति की अनुशंसा पर सरकार निर्णय लेगी।
बताया गया कि सरकार ने संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे, आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर और नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया की समिति बनाई है। यह समिति नगरीय निकायों के महापौर अथवा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर 15 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को देगी।
मध्यप्रदेश सरकार ने पहले ही महापौर और अध्यक्ष के चुनाव के लिए अप्रत्यक्ष प्रणाली अपना ली है। इसके लिए अध्यादेश लाया गया था जिसे राज्यपाल की मंजूरी भी मिल गई है। कुछ इसी तरह की तैयारी छत्तीसगढ़ में हो रही है। हालांकि पहले खुद मुख्यमंत्री श्री बघेल ने महापौर अथवा अध्यक्ष के चुनाव में किसी तरह बदलाव नहीं करने की बात कही थी। यहां महापौर अथवा अध्यक्ष व वार्डों का आरक्षण भी हो चुका है। मगर मध्यप्रदेश में चुनाव प्रणाली में बदलाव के बाद इसका अनुशरण करने का फैसला लिया गया है।
बताया गया कि मंत्रिमंडल की अनुशंसा पर सरकार अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली के लिए अध्यादेश ला सकती है। इसको कैबिनेट की आगामी बैठक में रखा जा सकता है। कुल मिलाकर सारी प्रक्रिया हफ्ते-दस दिन के भीतर पूरी कर लिए जाने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में आखिरी बार वर्ष-1994 में महापौर अथवा अध्यक्ष के चुनाव में अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली अपनाई गई थी। तब पार्षदों ने इसका निर्वाचन किया था। इसके बाद से महापौर और निकायों के अध्यक्ष के चुनाव सीधे मतदाताओं के वोटों से होने लगे थे। इससे चुनावी समीकरण बदलने की उम्मीद है और कई बड़े नेता महापौर या अध्यक्ष बनने के लिए पार्षद चुनाव लड़ सकते हैं।