रायपुर। भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया के बयान पर पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि नरेद्र मोदी ने 2013 में कहा था माओवादी हमारे ही लोग हैं। गौरव भाटिया में यदि साहस हो तो पहले नरेन्द्र मोदी जी से जवाब तलब करें, फिर कांग्रेस के बयानों पर टिप्पणी करें। यदि भाजपा सरकार खत्म करने में वाकई लगी है तो 2003 में दक्षिण बस्तर में तीन सीमावर्ती ब्लाकों तक सीमित माओवाद ने मुख्यमंत्री के गृह जिले कवर्धा और निर्वाचन जिले राजनांदगांव सहित प्रदेश के 14 जिलों को अपने गिरफ्त में कैसे ले लिया?
त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा, उदय मुदलियार, दिनेश पटेल, योगेन्द्र शर्मा, अभिषेक गोलछा, अल्लानूर भिडसरा, गोपी माधवानी जैसे नेताओं के शहादत माओवादी हमले में हुई। जब-जब कांग्रेस पार्टी द्वारा झीरम कांड की आवाज उठाई जाती है तब-तब भाजपा सरकार घबरा जाती है और घबराहट में जीरम कांड के बाद अपने उस पहले बयान को भी भूल जाती है, जिसमें उसने घटना में हुई चूक को स्वीकार किया था। वह चूक क्या थी और किसके इशारों पर की गयी थी? इस रहस्य का खुलासा होना चाहिए। त्रिवेदी ने कहा कि भाजपा के किन-किन शीर्ष नेताओं की माओवादियों से लड़ने में शहादत हुयी है, गौरव भाटिया नाम बतायें या फिर अपनी स्तरहीन बयानबाजी के लिये झीरम के शहीदों के परिवारों के साथ-साथ प्रदेश की जनता से क्षमा याचना करें। झीरम में कांग्रेस नेताओं की शहादत को आज 5 वर्ष हो गये। आज तक झीरम के अपराधी खुलेआम घूम रहे है। चिंता की बात यह है कि सरकार ने अभी तक झीरम घाटी के हत्यारों और षडयंत्रकारियों को पकड़ने की बात तो दूर पहचानने के प्रयत्न भी आरंभ नहीं किया। झीरम मामले में एनआईए की जांच में बार-बार सरकार के नोडल ऑफिसरो ने बाधा डाली और केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद तो जांच की दिशा ही बदल गयी। एनआईए ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सौपी दी, कोई खुलासा नहीं हुआ। झीरम की जांच के लिये बने न्यायिक जांच आयोग के कार्यक्षेत्र में साजिश की जांच को सम्मिलित ही नहीं किया गया है। दरभा थाने में जो रिपोर्ट दर्ज करायी गयी थी उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।