जोगी पर बोले बाबा- राम
रावण में अंतर प्रकृति क
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं अम्बिकापुर के कांग्रेस प्रत्याशी टी.एस. सिंहदेव बाबा ने आज कहा- पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बारे में यही कहा जा सकता है कि राम और रावण में अंतर क्या, केवल प्रकृति का। हालांकि मैं उन्हें रावण नहीं कह रहा।
राजीव भवन में आज मीडिया से बातचीत के दौरान टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि अजीत जोगी के जाति वाले मामले पर सूप्रीम कोर्ट का निर्देश रहा है 90 दिनों के भीतर निर्णय लें। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार अपने निजी स्वार्थों के लिए इस विषय को टालते रही। अजीत जोगी की बुद्धिमता पर कोई शक नहीं, लेकिन यह भी उतना ही बड़ा सच है सबको साथ लेकर चलने की उनमें कमी है। एक सवाल के जवाब में सिंहदेव ने कहा- मानता हूं अजीत जोगी ने अपने शासनकाल में मुझे वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया था। बाद में कुछ ऐसा हुआ उनसे संबंध बनते बिगड़ते चले गए। जग्गी हत्याकांड हुआ। अंतागढ़ का टेप कांड सामने आया। उनकी भाजपा से मिलीभगत दिखी। वह रमन सरकार को सपोर्ट करते थे। राजनीति में सब कुछ चलता है, मैं यह नहीं मानता। समझौते का मतलब यह नहीं कि किसी भी स्तर तक चले जाएं। कांग्रेस का 1 रुपये का सदस्य बने रहने पसंद करूंगा, लेकिन जोगी जी के साथ किसी तरह की प्रक्रिया निर्मित हो उसका मैं हिस्सा नहीं बन सकता।
सिंहदेव ने कहा कि इस बार का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने काफी तैयारी के साथ लड़ा है। पांच साल तक कांग्रेस ने विपक्ष की भूमिका में रहते हुए कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का काम किया। अनेक मुद्दों को लेकर कांग्रेस संघर्ष करती रही। चुनाव में हमने मतदाताओं के बीच जाकर मैसेज देने की कोशिश की कि कांग्रेस बेहतर विकल्प हो सकती है। उन्होंने कहा कि ईवीएम मशीन मानव निर्मित है और इतना बड़ा खेल भी नहीं हो सकता कि कोई पार्टी मशीन से छेड़छाड़ कर चुनावी नतीजे बदलने में कामयाब हो जाए। ऐसा भी सुनने में आ रहा कि भाजपा के भीतर यह बात चल रही कि 40 सीटें मिलने पर भी वह सरकार बना लेगी। जैसा कि पूर्व में कर्नाटक एवं गोवा में देखने को मिला। कांग्रेस के भीतर भी कुछ इसी तरह की सोच रखने वाले हुआ करते थे जो अब पार्टी से जा चुके। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो चुनावी घोषणा पत्र के क्रियान्वयन में 15 हजार करोड़ का रेवेन्यू और लगेगा। कहीं पर कटौती तो कहीं पर आबंटन इस फार्मूले पर काम करते चलेंगे। चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या लगातार बढ़ने पर उन्होंने कहा कि एक नजरिये से यह स्वस्थ भागीदारी मानी जा सकती है। वहीं सामाजिक स्तर पर जाकर वोट काटने कोई खड़ा हो तो उसे स्वस्थ परंपरा नहीं माना जा सकता। मेरे खुद अम्बिकापुर विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वालों की संख्या 22 थी। उनमें कई ऐसे थे जो बात करने दरवाजे खोलकर रखे थे। पूर्ण शराबबंदी पर सवाल करने पर उन्होंने कहा कि केरल में शराब बंद करने की बारी आई तो वहां कांग्रेस विभक्त हो गई। एक बंद करने के पक्ष में था तो दूसरा बंद नहीं करने के। बिहार में पूर्ण शराब बंदी हुई, अब वहां उसे वापस लागू करने पर पुनर्विचार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद गंभीर मुद्दा है। इसके समाधान निकालने हेतु सबको विश्वास में लेने की आवश्यकता है।