100 साल पहले डूबा जहाज़ मिला सुरक्षित, समंदर की गहराई में भी लकड़ी के शिप को नहीं हुआ कोई नुकसान
लकड़ी का जहाज पानी में आसानी से तैरता रहता है, उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचता. मगर वहीं पानी अगर किसी लकड़ी में ज्यादा देर तक लगा रह जाए तो उसे सड़ा देता है. हमेशा ऐसा ही देखा और सुना जाता रहा है. मगर एक ऐसा करिश्मा सामने आया जिसके विशेषज्ञों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया. समंदर में सालों पहले डूबे एक जहाज का मलबा मिला है. जो अब तक सुरक्षित है.
100 साल पहले अंटार्कटिका की गहराई में समा चुका शकलटल जहाज पूरी तरह सुरक्षित पाया गया. हाल ही में मिले उसके मलबे की तस्वीरों से साफ है कि 10 दशक बाद भी लकड़ी के जहाज को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है. जहाज का मलबा 3,008 मी. की गहराई में पड़ा है. समुद्री इतिहासकार और पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ एन कोट्स ने बताया कि जहाज़ का मलबा पूरी तरह से संरक्षित रह पाने का कारण ये है कि अंटार्कटिका में लकड़ी के कीड़े नहीं पाए जाते हैं.
शैकलटन जहाज का मलबा मिलने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि इससे बहुत कुछ सीखने और जानने को मिलेगा. जहाज इतनी बेहतर स्थिति में है कि इससे जुड़े इतिहास और चालक दल के सदस्यों और निर्माण से जुड़े तमाम तथ्यों की जानकारी हासिल हो सकेगी. 100 साल पहले डूबा जहाज अब जाकर फिर से मलबे के रूप मे मिला है. इसके निर्माता को एक बार फिर याद किया जा रहा है जिन्होंने एक शानदार शिप का निर्माण किया. भले ही वो डूब गई मगर 100 साल बाद भी पानी के भीतर सही सलामत स्थिति में है. खोज के दौरान पाया गया कि पानी में कीड़े तो हैं मगर केवल 30 मीटर गहरे जमीन के पास तक जहां पेड़ थे. लेकिन शैकलटन का जहाज लगभग 3,000 मीटर की गहराई में समाया था जहां इतनी ठंड होती है कि कीड़े लकड़ी को नष्ट करने के लिए ज़िंदा नहीं रह सकते.
कैसे डूब गया शैकलटन?
शैकलटन ने बर्फीले अंटार्कटिका को पार करने की तीन बार असफल कोशिश की थी. और तीसरी बार तो जो हुआ ये मलबा उसकी गवाही दे रहा है. मिशन का तीसरा प्रयास बेहद बुरी तरह न केवल विफल रहा बल्कि भारी विनाश भी किया. फ़ॉकलैंड मैरीटाइम हेरिटेज ट्रस्ट के कहने के बाद यह खबर आई कि सर अर्नेस्ट की मौत की 100 वीं वर्षगांठ के महीने के अनुसार अंटार्कटिका के तट से मलबा मिला है. इस अभियान के निदेशक का कहना है कि जहाज के फुटेज बरकरार रखे गए हैं जो बताते है कि ये अब तक का सबसे बेहतरीन लकड़ी का जहाज़ है जैसा पहले कभी नहीं देखा गया. (news18.com)