धर्म परिवर्तन कर की शादी, एक साल इंतजार के बाद पति-पत्नी रहेंगे साथ
धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम युवक से शादी करने वाली युवती के स्वजनों विरोध के बाद युवती को नारी निकेतन भेज दिया गया था। पति की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच के निर्देश पर वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये युवती को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट के समक्ष युवती ने अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन कर विवाह की बात स्वीकारी। युवती ने पति के साथ जीवन बीताने की गुहार भी लगाई। कोर्ट ने सुरक्षा के साथ पति के पास भेजने के निर्देश पुलिस प्रशासन को दिए हैं।
मामला महासमुंद जिले के बसना का है। बसना निवासी मोहम्मद इरफान ने अपने वकील के जरिये हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने कहा है कि हिंदू लड़की ने खुद की सहमति पर वर्ष 2021 में धर्म परिवर्तन करा मुस्लिम जमात में मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह किया। इस बात की जानकारी होने के बाद लड़की के पिता ने थाने में शिकायत कर दी।
प्रेम विवाह को सांप्रदायिक रूप देकर विवाद को बढ़ावा देने की कोशिश की गई। विवाद बढ़ने पर पत्नी को नारी निकेतन रायपुर भेज दिया। तब से लेकर वह आज तक नारी निकेतन में है। याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी को वापस दिलाने की गुहार लाई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि याचिकाकर्ता इरफान की पहले से ही एक पत्नी और दो बच्चे हैं जो अलग रह रहे हैं। पत्नी के अलग होने के बाद उसका एक हिंदू लड़की के साथ प्रेम प्रसंग चला और दोनों ने शादी कर ली।
इसकी जानकारी मिलने के बाद पर लड़की के पिता ने बसना थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। याचिका में यह मुद्दा भी उठा कि पहली पत्नी की सहमति के बिना कोई दूसरा विवाह नहीं कर सकता। याचिकाकर्ता के वकील ने मुस्लिम ला का हवाला देते हुए कहा कि दूसरा विवाह बिना सहमति किया जा सकता है। याचिका की सुनवाई में यह बात भी सामने आई कि पहली पत्नी ने इरफान द्वारा उसे भरण-पोषण नहीं देने की शिकायत कोर्ट में दर्ज कराई है। इस पर हाई कोर्ट ने पूछा कि महिला को भरण-पोषण मिल रहा है या नहीं। तब बताया गया है कि वह अपनी पत्नी को भरण पोषण दे रहा है। सभी पक्षों का जवाब आने और बहस पूरी होने के बाद डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।