छत्तीसगढ़

Naxalites Cave: कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में नक्सलियों की विशाल गुफा का खुलासा, सुरंग और शिवलिंग भी मिला, फोर्स का ऑपरेशन जारी

Naxalites Cave: छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की एक विशाल गुफा का पता लगाया है। यह गुफा इतनी...

27, April, 2025 | Naxalites Cave: छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की एक विशाल गुफा का पता लगाया है। यह गुफा इतनी बड़ी और गहरी है कि इसमें एक साथ लगभग 1000 नक्सली आराम से छिप सकते हैं। गुफा के भीतर हथियार और बारूद छुपाने की भी पर्याप्त जगह है।

गुफा के भीतर एक पतली सुरंग भी मिली है, जो सीधे पहाड़ी के दूसरी तरफ निकलती है। इससे नक्सली आसानी से एक ओर से दूसरी ओर आ-जा सकते हैं। चट्टानों से रिसता पानी भी गुफा के भीतर देखा गया है। हैरान करने वाली बात यह रही कि गुफा के अंदर एक शिवलिंग भी मिला है, जिस पर सिंदूर और गुलाल लगा था। इससे संकेत मिलते हैं कि नक्सली यहां शिवलिंग की पूजा भी करते थे। फिलहाल, सुरक्षाबलों के आने से ठीक पहले नक्सली इस गुफा को छोड़कर भाग निकले हैं।

ऑपरेशन ब्लैक हिल्स: फोर्स की बड़ी कार्रवाई
फिलहाल कर्रेगुट्टा, दुर्गमगुट्टा और पुजारी कांकेर की पहाड़ियों में देश का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन जारी है। इस ऑपरेशन का आज छठा दिन है। चौथे और पांचवें दिन जवानों ने गुफा जैसे ठिकाने का पता लगाया। शनिवार, 26 अप्रैल को कुछ जवान बीजापुर लौटे, लेकिन भारी संख्या में सुरक्षाबल अभी भी मौके पर मौजूद हैं। DRG, CRPF, STF, कोबरा और बस्तर फाइटर्स की टीमें इलाके की घेराबंदी कर रही हैं। बस्तर के IG सुंदरराज पी ने इस ऑपरेशन को नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई बताया है।

क्यों कहते हैं इसे ब्लैक फॉरेस्ट
स्थानीय लोग कर्रेगुट्टा क्षेत्र को ‘ब्लैक फॉरेस्ट’ या ‘ब्लैक हिल्स’ के नाम से जानते हैं। इसका कारण यह है कि शाम 4 बजे के बाद यहां इतना घना अंधेरा छा जाता है कि पास खड़ा व्यक्ति भी दिखाई नहीं देता। साथ ही, यह इलाका नक्सलियों का सबसे सुरक्षित गढ़ रहा है, जहाँ आम ग्रामीणों का जाना लगभग असंभव है।

पहाड़ियों में 2000 से ज्यादा नक्सलियों की मौजूदगी
छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर फैले करीब 280 किलोमीटर के इस क्षेत्र में हिड़मा, दामोदर, आजाद, पापाराव, अभय जैसे बड़े नक्सली नेता अपनी बटालियन और कंपनियों के साथ सक्रिय हैं। यहां कई प्लाटून भी काम कर रहे हैं, जिससे सुरक्षाबलों के लिए ऑपरेशन काफी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।

नक्सलियों का TCOC अभियान
मार्च से जून तक नक्सलियों का “टैक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन” (TCOC) चलता है, जिसमें वे संगठन को मजबूत करते हैं, नए सदस्यों की भर्ती करते हैं और फोर्स पर हमलों की योजना बनाते हैं। इस दौरान लेवी वसूली भी तेज हो जाती है। अब यह अभियान फरवरी से ही शुरू हो जाता है।

बड़े नक्सली नेताओं की मौजूदगी
सूत्रों के मुताबिक, इस इलाके में माड़वी हिड़मा, दामोदर, आजाद, बंडी प्रकाश, चंद्रानजे, सुजाता, कट्टाराम चंद्र रेड्डी, विकल्प, विज्जो, उर्मिला, गंगा, मंगडू, अभय जैसे शीर्ष नक्सली नेता सक्रिय हैं। इनमें हिड़मा सबसे बड़ा नाम है, जिस पर एक करोड़ का इनाम है और जो कई बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड रहा है। दामोदर भी तेलंगाना का कुख्यात नक्सली नेता है, जिस पर 50 लाख का इनाम घोषित है।

31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने देश से नक्सलवाद के पूरी तरह खात्मे के लिए 31 मार्च 2026 तक का लक्ष्य तय किया है। इसी दिशा में सुरक्षाबलों को पूरी स्वतंत्रता दी गई है। छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में ऑपरेशन तेज कर दिया गया है। कर्रेगुट्टा में चल रहा यह ऑपरेशन अगर सफल रहता है, तो यह नक्सलवाद से मुक्ति की निर्णायक लड़ाई साबित हो सकती है।

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