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Astronaut Shubhanshu Shukla: अंतरिक्ष की उड़ान भरने को तैयार लखनऊ के शुभांशु शुक्ला, 8 जून को जाएंगे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन

Astronaut Shubhanshu Shukla: लखनऊ की गलियों से निकलकर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने जा रहे हैं भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला। 39 वर्षीय शुभांशु 8 जून

Astronaut Shubhanshu Shukla: लखनऊ की गलियों से निकलकर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों को छूने जा रहे हैं भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला। 39 वर्षीय शुभांशु 8 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होंगे। Axiom Mission-4 (एक्सिओम मिशन-4) के तहत वे 14 दिनों तक स्पेस स्टेशन पर रहेंगे और इस मिशन की अगुवाई भी करेंगे। शुभांशु, राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे, और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर कदम रखने वाले पहले भारतीय।

8 जून को शाम 6:41 बजे होगी लॉन्चिंग

शुभांशु शुक्ला की यह ऐतिहासिक यात्रा 8 जून को फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से शुरू होगी। यह मिशन पहले 29 मई को लॉन्च होने वाला था, लेकिन तकनीकी बदलावों के चलते अब इसे 8 जून को भारतीय समयानुसार शाम 6:41 बजे लॉन्च किया जाएगा। उन्हें स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए भेजा जाएगा।

मिशन की कमान संभालेंगे शुभांशु

Axiom Mission-4 में शुभांशु के साथ अमेरिका की कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज उज्नान्स्की-विस्निएव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी अंतरिक्ष यात्रा पर जा रहे हैं। इस मिशन की पूरी जिम्मेदारी शुभांशु शुक्ला को दी गई है, जो उनके नेतृत्व कौशल और तकनीकी दक्षता का परिचायक है।

ISRO और NASA की संयुक्त पहल

यह मिशन भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और अमेरिका की NASA की संयुक्त पहल है। इससे पहले केवल राकेश शर्मा (1984) ने रूस के सोयुज अंतरिक्षयान से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। अब चार दशक बाद शुभांशु भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए अंतरिक्ष में जाएंगे।

पीएम मोदी की घोषणा से शुरू हुई थी राह

2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से ऐलान किया था कि भारत का बेटा या बेटी बहुत जल्द अंतरिक्ष में जाएगा। इसी घोषणा के बाद इसरो ने अंतरिक्ष यात्रियों के चयन की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसमें शुभांशु शुक्ला 2019 में शामिल हुए। कई स्तरों की जांच और प्रशिक्षण के बाद जनवरी 2025 में उन्हें Axiom Mission-4 के लिए पायलट के तौर पर चुन लिया गया।

शुभांशु शुक्ला का सफर: लखनऊ से अंतरिक्ष तक

10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुभांशु का परिवार उनकी इस उपलब्धि से बेहद गर्वित है। उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला और मां आशा शुक्ला बेटे की इस कामयाबी से फूले नहीं समा रहे हैं। शुभांशु अपने परिवार के पहले सदस्य हैं जिन्होंने आर्म्ड फोर्स में कदम रखा।

वायुसेना में गौरवशाली करियर

2005 में उन्होंने नेशनल डिफेंस अकादमी से ग्रेजुएशन किया और 2006 में वायुसेना में कमीशन प्राप्त किया। वे एएन-32, मिग-21, मिग-29, एसयू-30 एमकेआई, हॉक और जगुआर जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को उड़ा चुके हैं। उन्हें 2000 घंटे से अधिक की उड़ान का अनुभव है।

2019 में उन्हें विंग कमांडर के पद पर पदोन्नति मिली और उसी साल उन्हें IAF के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम में चुना गया। 2021 में वे रूस के गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर गए और वहां से प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण के बाद उन्होंने भारत लौटकर बेंगलुरु स्थित स्पेस ट्रेनिंग फैसिलिटी में अपनी तैयारियां जारी रखीं। 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन बनाया गया।

व्यक्तिगत जीवन

शुभांशु तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनकी पत्नी कामना शुभा शुक्ला एक पेशेवर डेंटिस्ट हैं। शुभांशु की यह अंतरिक्ष यात्रा न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बनने जा रही है।

भारत के लिए गर्व का पल

8 जून को जब शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन की ओर उड़ान भरेंगे, तो वह पल भारत के लिए गर्व और प्रेरणा का प्रतीक होगा। वे न सिर्फ एक अंतरिक्ष यात्री हैं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं कि अगर जज्बा हो तो लखनऊ की गलियों से भी सीधा अंतरिक्ष की ऊंचाई तक पहुंचा जा सकता है।

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