Action Against Naxalism: नक्सलियों पर शिकंजा, ड्रोन से पहरेदारी, बिहार पुलिस का बड़ा एक्शन प्लान तैयार, आत्मसमर्पण कर रहे उग्रवादी
Action Against Naxalism: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब नक्सलियों की खैर नहीं है। गया जिले में पुलिस ने नक्सल विरोधी अभियान को तेज करते हुए बड़ा...
Action Against Naxalism: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब नक्सलियों की खैर नहीं है। गया जिले में पुलिस ने नक्सल विरोधी अभियान को तेज करते हुए बड़ा एक्शन प्लान तैयार किया है। अत्याधुनिक तकनीक, ड्रोन सर्विलांस और कड़े पुलिसिया घेराबंदी के बीच नक्सलियों की गतिविधियों पर चौतरफा नजर रखी जा रही है। SSP आनंद कुमार के नेतृत्व में सुरक्षाबल अब नक्सलियों को उनके गढ़ में घुसकर खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
ड्रोन से पहाड़ियों और जंगलों की निगरानी
नक्सलियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए पुलिस ड्रोन और अन्य तकनीकी उपकरणों का सहारा ले रही है। डुमरिया, इमामगंज, छकरबंधा, लुटुआ, बाराचट्टी जैसे इलाकों में जंगलों में छिपे नक्सलियों की तलाश तेज कर दी गई है। पहाड़ियों में ड्रोन कैमरों की मदद से हर मूवमेंट को ट्रैक किया जा रहा है। साथ ही, पुलिस का खुफिया तंत्र भी पूरी तरह सक्रिय कर दिया गया है ताकि नक्सलियों की हर हरकत का समय रहते पता लगाया जा सके।
अब नक्सलियों के पास नहीं बची कोई जगह
पुलिस सूत्रों के अनुसार, फरार नक्सलियों को पकड़ने के लिए सघन तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। अब उनके पास छिपने की कोई जगह नहीं बची है। हर कदम पर पुलिस की नजर है। इस अभियान की सफलता के लिए पुलिस, सीआरपीएफ और एसएसबी के बीच आपसी समन्वय को और अधिक मजबूत किया गया है। साझा ऑपरेशन से नक्सल नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने की तैयारी है।
तीन लाख का इनामी नक्सली हुआ आत्मसमर्पण
इस सख्त अभियान का असर भी दिखने लगा है। हाल ही में तीन लाख रुपए का इनामी और कुख्यात नक्सली अखिलेश सिंह भोक्ता उर्फ पतरका ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। बताया जा रहा है कि लगातार हो रही पुलिस कार्रवाई, पहाड़ी इलाकों में सुरक्षाबलों की मौजूदगी और गुप्त ठिकानों पर दबिश के कारण नक्सली खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसी के चलते अखिलेश ने सरेंडर करने का फैसला लिया। वह लंबे समय से कई गंभीर मामलों में फरार था।
अब तक 30 से अधिक नक्सली गिरफ्तार या आत्मसमर्पण कर चुके
पुलिस की रणनीति और दबिश का ही असर है कि साल 2025 में अब तक 30 से अधिक नक्सली पकड़े जा चुके हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं। SSP आनंद कुमार ने कहा कि पुलिस अब नक्सलियों की मांद तक पहुंच चुकी है। जो इलाके पहले पुलिस के लिए दुर्गम माने जाते थे, अब वहां भी नियमित गश्त की जा रही है।
प्रशासन की कोशिश – नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ना
सिर्फ कार्रवाई ही नहीं, प्रशासन अब नक्सलियों को मुख्यधारा में जोड़ने की भी पूरी कोशिश कर रहा है। आत्मसमर्पण करने वालों को पुनर्वास योजनाओं से जोड़कर समाज में वापस लाया जा रहा है। सरकार की योजना है कि युवाओं को नक्सली विचारधारा से दूर रखा जाए और उन्हें बेहतर शिक्षा, रोजगार व अवसर उपलब्ध कराए जाएं।
बिहार के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की रणनीति अब पूरी तरह आक्रामक हो चुकी है। ड्रोन से निगरानी, संयुक्त ऑपरेशन और सतत खुफिया कार्रवाई के चलते नक्सली संगठन बिखरते नजर आ रहे हैं। आत्मसमर्पण का सिलसिला इस बात का संकेत है कि नक्सलियों का खौफ अब टूटने लगा है। आने वाले दिनों में नक्सलवाद पर और बड़ा प्रहार देखने को मिल सकता है।



