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JABALPUR GOLD MINE | जबलपुर की धरती ने उगला सोना !

 

जबलपुर, 8 अगस्त। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के सिहोरा तहसील अंतर्गत बेला ग्राम पंचायत में सोने का विशाल भंडार मिलने की पुष्टि ने पूरे क्षेत्र में उत्साह की लहर दौड़ा दी है। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) और अन्य भूवैज्ञानिकों की टीम ने महगवां केवलारी गांव से लगे क्षेत्र में महीनों की रिसर्च और सैंपलिंग के बाद यह चौंकाने वाला खुलासा किया है।

100 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हो सकता है सोने का भंडार

सूत्रों के अनुसार, ग्राम बेला और बिनैका के बीच की भूमि में सैंपलिंग के दौरान सोने के कण पाए गए हैं। यह क्षेत्र करीब 100 हेक्टेयर में फैला हुआ है और अनुमान है कि यहां कई टन सोना हो सकता है। अब तक की जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि खनन के लिहाज से यह इलाका बेहद समृद्ध है।

जमीन से निकलने वाला ‘सोना’ बदल सकता है प्रदेश की तस्वीर

भूवैज्ञानिकों का कहना है कि यहां पहले से लौह अयस्क, बॉक्साइट और संगमरमर जैसे खनिज पाए जाते रहे हैं, लेकिन सोने की पुष्टि ने इस क्षेत्र की आर्थिक संभावनाओं को कई गुना बढ़ा दिया है। यदि यहां उत्पादन शुरू होता है तो यह जबलपुर ही नहीं, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था में नया अध्याय जोड़ेगा।

ग्रामीणों ने जताई खुशी, सरपंच बोले – अब बदलेगी गांव की किस्मत

बेला गांव के निवासी राममिलन प्रजापति ने कहा –

“हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारी धरती में सोना छुपा होगा। यह तो हमारे गांव के लिए किसी वरदान से कम नहीं।”

वहीं सरपंच रामराज पटेल ने कहा –

“अब गांव की किस्मत बदलने जा रही है। हम चाहते हैं कि सरकार खनन के साथ गांव का विकास भी करे।”

पूर्व सरपंच सुभाष पटेल ने कहा कि उन्होंने पहले ही इस क्षेत्र की खनिज संभावनाओं पर ध्यान दिलाया था, अब पुष्टि के बाद विकास की गति तेज होनी चाहिए।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में जबलपुर के खनिजों की भारी मांग

जबलपुर जिला पहले से ही आयरन ओर, मैंगनीज, बॉक्साइट और संगमरमर जैसे खनिजों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के खनिज चीन और अन्य देशों में निर्यात होते हैं। अब सोने की मौजूदगी ने इस क्षेत्र को निवेश का बड़ा केंद्र बना दिया है।

जल्द शुरू हो सकती है खुदाई, रोजगार के नए द्वार खुलने की उम्मीद

ग्रामीणों और विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार अगर तेजी से खनन की प्रक्रिया शुरू करती है तो इस क्षेत्र में रोजगार और आर्थिक प्रगति के नए द्वार खुलेंगे। वैज्ञानिक और अधिकारी अब अगले चरण की जांच और खुदाई की तैयारियों में जुटे हैं।

 

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