CG KARMCHARI PROTEST | आउटसोर्स व्यवस्था पर बवाल, दिसंबर में विशाल प्रदर्शन

रायपुर। छत्तीसगढ़ में सरकारी मशीनरी का बड़ा हिस्सा अब आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है। अस्पताल, बिजली कंपनी, स्कूल-छात्रावास, नगर निगम हर विभाग में एक लाख से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी दिन-रात काम कर रहे हैं। लेकिन इन्हें न पूरा वेतन मिलता है, न पीएफ-ग्रेच्युटी, न अन्य मूलभूत सुविधाएं। ज्यादातर कर्मचारियों को 8 से 10 हजार रुपये तक ही वेतन मिलता है, जो न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। यह जानकारी छत्तीसगढ़ प्रगतिशील अनियमित कर्मचारी फेडरेशन ने दी है।
276 करोड़ रुपये हर साल ‘फालतू’ खर्च: फेडरेशन
फेडरेशन की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सरकार हर साल इन कर्मचारियों पर करीब 1200 करोड़ रुपये खर्च करती है। इसमें 18% जीएसटी और ठेका एजेंसी का 5% कमीशन मिलाकर लगभग 276 करोड़ रुपये सीधे बर्बाद हो जाते हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि अगर आउटसोर्सिंग खत्म कर सीधे नियमित भर्ती की जाए, तो यह पैसा बचेगा और कर्मचारियों को भी स्थिर रोजगार मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले भी सरकार के खिलाफ नहीं
फेडरेशन का दावा है कि 2024-25 में सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में कहा है कि लंबे समय से सेवा दे रहे कर्मचारियों को स्थायी करने से इंकार नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
‘मोडी की गारंटी’ का वादा भी अधूरा
2023 में ‘मोडी की गारंटी’ के तहत अनियमित कर्मचारियों के लिए एक कमेटी बनाने का वादा किया गया था लेकिन आरोप है कि बनी कमेटी में एक भी कर्मचारी प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया। 20-25 साल की सेवा, पर स्थिति बंधुआ मजदूर जैसी फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल प्रसाद साहू ने कहा कि कई कर्मचारी 20-25 वर्षों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन स्थिति ‘बंधुआ मजदूर’ से भी बदतर है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो दिसंबर में रायपुर में विशाल आंदोलन किया जाएगा।



