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CG MEDICAL QUOTA POLICY | छत्तीसगढ़ PG कोटा नीति पर CGDF का बड़ा विरोध

 

रायपुर। छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन (CGDF) ने राज्य सरकार की नई गजट अधिसूचना (01 दिसंबर 2025) को “छत्तीसगढ़ के चिकित्सा भविष्य का डेथ वारंट” बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है। फेडरेशन का कहना है कि सरकार ने राज्य कोटे (State Quota) को “ओपन मेरिट” और “संस्थागत प्राथमिकता” में विभाजित कर ऐसा असंतुलन बना दिया है कि स्थानीय डॉक्टरों के पास देश में सबसे कम सीटें बची हैं।

क्या है विवाद?

सुप्रीम कोर्ट (सौरभ चौधरी केस) के अनुसार मेडिकल पीजी प्रवेश में 50% सीटें ऑल इंडिया कोटा (AIQ) के लिए होती हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ की नई अधिसूचना में 50% AIQ पहले ही बाहरी छात्रों के लिए खुला है। 25% स्टेट ओपन मेरिट को भी बाहरी उम्मीदवारों के लिए खोल दिया गया।

परिणाम

कुल 75% सीटें बाहरी उम्मीदवारों के लिए खुल गईं और स्थानीय उम्मीदवारों को सिर्फ 25% सीटें ही मिलती हैं। CGDF ने इसे “गंभीर नीतिगत भूल” बताते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए संतुलन (50-50 मॉडल) के खिलाफ है।

1. दोहरी नाकेबंदी : बाहर भी रास्ता बंद, अब अपने राज्य में भी

फेडरेशन ने कहा कि छत्तीसगढ़ के छात्र अब दोहरी मार झेल रहे हैं वे मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा के स्टेट कोटे में आवेदन नहीं कर सकते और अब अपने ही स्टेट कोटे में बाहरी छात्र उनकी सीटें ले रहे हैं। CGDF प्रवक्ता ने कहा कि जिन मेडिकल कॉलेजों को छत्तीसगढ़ के टैक्स और डॉक्टरों की मेहनत से खड़ा किया गया, वहीं स्थानीय छात्रों को दोयम दर्जे का माना जा रहा है।

2. ग्रामीण सेवा बॉन्ड का विरोधाभास

राज्य सरकार एमबीबीएस डॉक्टरों से 2 साल ग्रामीण सेवा बॉन्ड कराती है। इस कारण सैकड़ों डॉक्टर नक्सल और दूरदराज क्षेत्रों में सेवा दे रहे हैं। फेडरेशन ने सवाल उठाया कि जब PG सीटें बाहरी उम्मीदवारों को दी जा रही हैं, तो छत्तीसगढ़ का डॉक्टर बस्तर और सरगुजा में सेवा क्यों करेगा? वह बॉन्ड की राशि भरकर राज्य छोड़ने को मजबूर हो जाएगा।

3. इन-सर्विस डॉक्टरों पर बड़ा असर

नई अधिसूचना से इन-सर्विस डॉक्टरों के लिए PG सीटों का दायरा कम हो गया है। फेडरेशन ने चेतावनी दी कि विशेषज्ञ बनने का रास्ता सीमित हो जाएगा और इसका सीधा असर जिला अस्पतालों और आदिवासी क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा।

CGDF का अल्टीमेटम : मध्यप्रदेश मॉडल लागू करें

फेडरेशन ने सरकार से तत्काल सुधार की मांग की है। 01 दिसंबर 2025 की अधिसूचना तुरंत वापस ली जाए मध्यप्रदेश मॉडल लागू किया जाए, जिसमें राज्य कोटे (50% सीटें) को पहले पूरी तरह स्थानीय उम्मीदवारों और इन-सर्विस डॉक्टरों के लिए सुरक्षित रखा जाए। बाहरी छात्रों के लिए सीटें तभी खोली जाएँ जब स्थानीय सूची समाप्त हो जाए। फेडरेशन ने कहा कि दिल्ली अपने छात्रों के लिए 100% राज्य कोटा सुरक्षित रखती है, ऐसे में छत्तीसगढ़ अपने डॉक्टरों के अधिकार क्यों छोड़ रहा है।

 

 

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